MLA Disqualification Row: 'जनता ने खुली आंखों से देखी लोकतंत्र की हत्या', नार्वेकर के फैसले पर भड़की MVA
Maharashtra MLA Row: महाविकास अघाड़ी ने राहुल नार्वेकर के फैसले का विरोध करते हुए कहा कि महाराष्ट्र की जनता ने देखा कैसे लोकतंत्र की हत्या की गई है. जनता सब देख रही है और आगे फैसला लेगी.
MVA Reaction MLA Disqualification Row: महाराष्ट्र में काफी समय बाद विधायक अयोग्यता मामले में फैसला आया और एकनाथ शिंदे गुट को बड़ी राहत मिली. विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने 1200 पन्ने का फैसला सुनाते हुए यह फैसला सुनाया कि एकनाथ शिंदे की शिवसेना ही 'असली' पार्टी है और उनकी मुख्यमंत्री कुर्सी बरकरार रहेगी. इस फैसले पर अब अलग-अलग तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. एक ओर उद्धव ठाकरे इस फैसले के विरोध में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की बात कर रहे हैं तो वहीं महाविकास अघाडी ने भी विरोध दर्ज किया है.
दरअसल, महाराष्ट्र के ठाणे में हरि निवास सर्कल पर एक पोस्टर लगाया गया है. इस पोस्टर्स पर लिखा है, 'दिन दहाड़े लोकतंत्र की हत्या की गई है. जनता ने खुली आंखों से देखा.' महाविकास अघाड़ी की तरफ से कड़ी आलोचना करते हुए कहा गया है कि अब जनता न्याय करेगी.
एकनाथ शिंदे गुट की असली शिवसेना
महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने बुधवार को कहा कि 21 जून, 2022 को जब प्रतिद्वंद्वी समूहों का उदय हुआ तो शिवसेना का एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाला धड़ा ही ‘असली राजनीतिक दल’ (असली शिवसेना) था. शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले प्रतिद्वंद्वी धड़ों द्वारा एक-दूसरे के विधायकों के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिकाओं पर अपना फैसला पढ़ते हुए नार्वेकर ने यह भी कहा कि शिवसेना (यूबीटी) के सुनील प्रभु 21 जून, 2022 से सचेतक नहीं रहे. उन्होंने कहा कि शिंदे गुट के भरत गोगावाले अधिकृत सचेतक बन गए थे.
जैसे ही फैसले का आशय स्पष्ट हुआ, मुख्यमंत्री शिंदे के गुट के समर्थकों ने जश्न मनाना शुरू कर दिया. वहीं, उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने कहा कि वह नार्वेकर के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय जाएंगे. विधानसभाध्यक्ष ने यह भी कहा कि शिवसेना प्रमुख के पास किसी भी नेता को पार्टी से निकालने की शक्ति नहीं है. उन्होंने इस तर्क को भी स्वीकार नहीं किया कि पार्टी प्रमुख की इच्छा और पार्टी की इच्छा पर्यायवाची हैं.
उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग को सौंपा गया 1999 का पार्टी संविधान मुद्दों पर निर्णय लेने के लिए वैध संविधान था और ठाकरे समूह का यह तर्क कि 2018 के संशोधित संविधान पर भरोसा किया जाना चाहिए, स्वीकार्य नहीं था. उन्होंने कहा कि 1999 के संविधान ने ‘राष्ट्रीय कार्यकारिणी’ को सर्वोच्च निकाय बनाया था.