महाराष्ट्र में बड़ा भाई कौन? कांग्रेस झुकने को तैयार नहीं, शिवसेना यूबीटी मानने को राजी नहीं, पवार की पावर कम नहीं
MVA Seat Sharing In Maharashtra: महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले ने एमवीए में सीट शेयरिंग के फॉर्मूले पर कहा कि अंतिम समझौते की घोषणा शुक्रवार (25 अक्टूबर) सुबह तक हो सकती है.
MVA Seat Sharing 2024: महाराष्ट्र में विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी (MVA) में सीट बंटवारों को लेकर अब भी खींचतान जारी है. बुधवार (23 अक्टूबर) को एमवीए में सबकुछ ठीक दिखाने के लिए कांग्रेस, उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) और शरद पवार के एनसीपी (एसपी) के बीच ऐसे सीटों बंटवारा हुआ जैसे की कोई संपत्ति बंट रही हो. तीनों ने बराबर-बराबर 85-85 सीटों पर लड़ने का ऐलान किया.
लेकिन असली लड़ाई अब 15 सीटों की है. इसी 15 सीटों में तय होगा कि शिवसेना यूबीटी और कांग्रेस में कौन बड़े भाई की भूमिका में होगा. दरअसल, लोकसभा चुनाव रिजल्ट के बाद से ही एमवीए में सीट बंटवारे को लेकर कशमकश शुरू हो गई थी.
राज्य में सबसे अधिक सीटें जीतकर कांग्रेस ने सभी को चौंका दिया और विधानसभा चुनाव में सबसे अधिक सीटों पर लड़ने का दावा किया. इसके लिए उद्धव ठाकरे की पार्टी राजी नहीं दिखी. शिवसेना यूबीटी ने 100 से अधिक सीटों पर दावा ठोंका. शिवसेना यूबीटी और कांग्रेस दोनों की इच्छा बड़े भाई बनने की है. बुधवार को ही दिन में राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा कि देश हमेशा यह चाहता है कि शिवसेना सेंचुरी मारे और हमारे में सेंचुरी लगाने का दाम है.
दोनों की लड़ाई में शरद पवार का पावर बरकरार है. चुनाव के शुरुआती दिनों से ही चर्चा रही है कि पवार की पार्टी को 80 से 90 सीटें मिल सकती है और उसे 85 सीटें मिल चुकी है. माना जा रहा है कि 15 सीटों में भी एनसीपी (एसपी) को कुछ सीटें मिलेगी.
देर तक वाईबी चव्हाण सेंटर में शरद पवार की बैठक
दिलचस्प है कि बुधवार को कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) के बीच सीटों को लेकर समझौता भी शरद पवार ने ही कराया. दिनभर की बैठक के बाद रात के करीब साढ़े 12 बजे पवार वसंतराव च्वहाण सेंटर से निकले. शरद पवार की मुहर के बाद संजय राउत, नाना पटोले और जयंत पाटिल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस किया और 85-85 के फॉर्मूले की घोषणा की.
VIDEO | NCP (SP) president Sharad Pawar (@PawarSpeaks) leaves from Yashwantrao Chavan Center in Mumbai after attending a meeting with Maha Vikas Aghadi alliance partners. #MaharashtraElections2024
— Press Trust of India (@PTI_News) October 23, 2024
(Full video available on PTI Videos - https://t.co/n147TvrpG7) pic.twitter.com/FQrji9h5qt
कांग्रेस और शिवसेना यूबीटी के बीच आपसी खींचतान ही बड़ी वजह है कि चुनाव की घोषणा के 9 दिनों बाद भी अंतिम फॉर्मूले पर मुहर नहीं लग सकी. राज्य में विधानसभा की 288 सीटें हैं. इनमें से 255 सीटों पर तीनों दलों के बीच सहमति बनी है. 18 सीटें सहयोगी दल समाजवादी पार्टी, आप, लेफ्ट और PWP को देने का फैसला लिया गया है. ये दल भी देरी की वजह से नाराज हैं. सियासी जानकार मानते हैं कि तीन ही दल छोटी पार्टियों को फिलहाल ऊहापोह में रखना चाहते हैं.
पांच सीटों पर SP कर चुकी है उम्मीदवारों का ऐलान
अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी 12 सीटों की मांग कर रही है और पांच सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है. अन्य दलों के उम्मीदवार टिकट पाने के लिए एमवीए शामिल दलों के कार्यालयों में उमड़ रहे हैं, क्योंकि नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया शुरू है. नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख 29 अक्टूबर है. इन दलों के नेताओं का मानना है कि सीट आवंटन में लगातार हो रही देरी उनकी चुनावी संभावनाओं को नुकसान पहुंचा सकती है.
अब कुल 15 सीटें ऐसी बची हैं, जिसमें तीनों पार्टियों के बीच हिस्सेदारी होगी और यहीं से तय होगा कि कोई बड़े भाई की भूमिका में आता है, या सब बराबर ही रहेंगे. सूत्र तो ये भी बता रहे हैं कि जिन सीटों का बंटवारा हुआ है. उसपर भी विवाद बढ़ रहा है और इसी का नतीजा है कि कांग्रेस नेता वर्षा गायकवाड़ और असलम शेख मुंबई की बांद्रा ईस्ट और भायखला जैसी सीटों पर फंसे पेच को लेकर आज उद्धव ठाकरे के पास पहुंचे.
सीएम चेहरे पर नजर
दरअसल, सीट शेयरिंग से ही तय होगा कि किस पार्टी का मुख्यमंत्री चेहरा होगा और इसपर कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) फिलहाल तो समझौते के लिए तैयार नहीं है. कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करने के लिए की गई नारेबाजी के बारे में पूछे जाने पर महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले ने गुरुवार को कहा कि उनका पहला काम एमवीए को सत्ता में लाना है. उन्होंने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री पद को लेकर फैसला आलाकमान द्वारा किया जायेगा.’’
कब किसके साथ लड़ी शिवसेना?
उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) पहली बार कांग्रेस और एनसीपी (एसपी) के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रही है. शिवसेना 1990, 1995, 1999, 2004 और 2009 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ी. हालांकि पार्टी ने 2014 के चुनाव से पहले गठबंधन तोड़ लिया. इसके बाद एक बार फिर 2019 में पार्टी बीजेपी के साथ गठबंधन कर चुनावी मैदान में उतरी. ये गठबंधन भी चुनाव के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर टूट गया. इसके बाद वो कांग्रेस-एनसीपी के साथ आ गए. बाद में एनसीपी और शिवसेना भी दो धड़ों में बंट गई.
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