Maharashtra News: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने मराठी भाषा को "शास्त्रीय भाषा" का दर्जा दिया है. केंद्र सरकार के इस फैसले को मराठी वोट बैंक को एकजुट करने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है. मराठी के साथ-साथ बंगाली, असमिया समेत कुल पांच भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया. इसी के साथ देश में शास्त्रीय भाषा की कुल संख्या 11 हो गई है.


मराठी भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलने के बाद नेताओं ने केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत किया, लेकिन इसके साथ ही पक्ष और विपक्ष की ओर से यह दावा किया जा रहा है कि मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिलवाने की पहल सबसे पहले उनकी ओर से की गई थी. उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए कहा, "करीब एक दशक से यह मांग की जा रही थी कि मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया जाए."


उन्होंने कहा, "जब वो राज्य के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने इस बात की पहल की थी कि मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिले. साथ ही मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे भी इसके लिए प्रयासरत थे, इसलिए वो केंद्र सरकार के इस फैसले के लिए महाराष्ट्र की 12 करोड़ जनता की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद करते हैं." 


कांग्रेस ने क्या कहा?
वहीं दूसरी ओर महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने केंद्र सरकार के फैसले पर खुशी जताते हुए कहा, "कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय विलासराव देशमुख ने सबसे पहले केंद्र के सामने यह बात रखी थी कि मराठी भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिले. उसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने वरिष्ठ साहित्यकार प्रोफेसर रंगनाथ पठारे के अध्यक्षता में समिति गठित कर इस काम को आगे बढ़ाया. आज कई सालों के बाद हमारा प्रयास सफल हुआ."


केंद्र सरकार के फैसले के बाद पक्ष और विपक्ष के नेताओं की ओर से इस प्रकार के ट्वीट से यह साफ जाहिर होता है कि नेता क्रेडिट लेने की होड़ में हैं. बता दें राज्य में साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने की संभावना है. इससे पहले राज्य सरकार और केंद्र सरकार जनता को अपने पक्ष में के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. 



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