Narali Purnima 2022: महाराष्ट्र सहित कोंकणी क्षेत्र में 12 अगस्त को मनाई जाएगी नराली पूर्णिमा, जानिए- शुभ मुहूर्त और महत्व
Narali Purnima 2022: नराली पूर्णिमा महाराष्ट्र और कोंकणी क्षेत्र में मनाई जाती है. इस दिन मछुवारे भगवान वरुण देव की पूजा करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए दिनभर उपवास भी रखते हैं.
Narali Purnima 2022: श्रावण पूर्णिमा को तटीय महाराष्ट्र और भारत के कोंकणी क्षेत्र में नराली पूर्णिमा (Narali Purnima) का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन भगवान वरुण देव (Lord Varuna Dev) की खासतौर पर पूजा की जाता है. ऐसा कहा जाता है कि मछुआरों द्वारा पूर्णिमा के दिन सागर के देवता वरुण देव को प्रसन्न करने हेतु नारियण भेंट किए जाते हैं. ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि मछुआरो के कार्य में सदैव बरकत बनी रहे. इसी कारण इस पर्व का नाम नराली पूर्णिमा या नारियल पूर्णिमा भी है. इस दिन वरुण देव के लिए विशेष उपवास भी रखा जाता है.
नराली पूर्णिमा की क्या है मान्यता
नराली पूर्णिमा को लेकर, भक्तों की मान्यता है कि इस दिन समुद्र में पूजा करने से भगवान वरुण प्रसन्न होते हैं और मछुआरों को सभी प्रकार की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं से बचाते हैं. नारली शब्द नराल से आया है जिसका अर्थ है नारियल और पूर्णिमा पूर्णिमा के दिन का प्रतीक है. इसलिए, श्रावण मास के दौरान पूर्णिमा के दिन नारली पूर्णिमा को चिह्नित किया जाता है. इस दिन, महाराष्ट्रीयन ब्राह्मण फलाहार उपवास (फलों, सूखे मेवों और कुछ डेयरी उत्पादों पर आधारित भोजन) का पालन करते हैं. वे व्रत के दौरान सिर्फ नारियाल यानी नारियल ही खाना पसंद करते हैं. भक्त नारली पूर्णिमा पर प्रकृति के प्रति अपना प्यार, सम्मान और कृतज्ञता दिखाने के लिए पेड़ भी लगाते हैं.
तिथि और शुभ मुहूर्त:
इस वर्ष नारली पूर्णिमा 12 अगस्त 2022 (शुक्रवार) को मनाई जाएगी. पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त को सुबह 10:38 बजे शुरू होगी और 12 अगस्त को सुबह 7:05 बजे समाप्त होगी.
किस मंत्र को पढ़ना चाहिए
नराली पूर्णिमा पर, भक्तों को ये मंत्र पढ़ना चाहिए- “ओम वां वरुणाय नमः”
नराली पूर्णिमा का क्या महत्व है
नारली पूर्णिमा मछली पकड़ने के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है. इसलिए मछुआरे भगवान वरुण को उदारतापूर्वक प्रसाद चढ़ाते हैं. वे समुद्र से प्रचुर मात्रा में मछलियां पकड़ने के लिए उनका आशीर्वाद लेने के लिए विशेष प्रार्थना करते हैं।.पूजा की रस्में पूरी करने के बाद, मछुआरे अपनी सजी हुई नावों का प्रदर्शन करते हुए समुद्र में जाते हैं. समुद्र की छोटी यात्रा के बाद, वे किनारे पर लौट आते हैं और परिवार के साथ उत्सव में मनाते हैं इस दिन नारियल से मीठा पकवान बनाया जाता है जिसे रिश्तेदारों, दोस्तों और परिवार के साथ मिलकर खाया जाता है. नारियल को दिन का मुख्य भोजन माना जाता है और मछुआरे इससे बने विभिन्न व्यंजनों का सेवन करते हैं. गायन और नृत्य इस त्योहार का मुख्य आकर्षण है.
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