Narendra Dabholkar Murder Case: नरेंद्र दाभोलकर मर्डर केस में पुणे कोर्ट का फैसला, 2 आरोपियों को आजीवन कारावास, 3 निर्दोष
Narendra Dabholkar Murder Case: महाराष्ट्र में साल 2013 को डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की हत्या कर दी गई थी. इस मामले में आज कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है.
Narendra Dabholkar News: महाराष्ट्र के पुणे में यूएपीए मामलों की एक विशेष अदालत ने डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की हत्या मामले में आज 11 साल बाद अपना फैसला सुनाया है. कोर्ट ने दाभोलकर हत्याकांड केस में तीन आरोपियों को निर्दोष पाया और दो को दोषी करार दिया है. दोषी को कठोर आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है.
इस मामले में आरोपी वीरेंद्र सिंह तावड़े पर साजिश रचने का आरोप लगाया गया था, लेकिन सरकारी पक्ष की ओर से सबूत पेश नहीं कर पाने के कारण उन्हें बरी कर दिया गया. साथ ही पुनालेकर और भावे के खिलाफ आरोप साबित नहीं हुए हैं, इसलिए उन्हें भी बरी किया जा रहा है. कालस्कर और आंदुरे पर दाभोलकर की हत्या करने का आरोप सिद्ध हो गया है, इसलिए दोनों को कठोर आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है.
जाने-माने तर्कवादी दाभोलकर (67) की 20 अगस्त, 2013 को यहां ओंकारेश्वर ब्रिज पर सुबह की सैर के दौरान गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
मामले में पांच लोगों को आरोपी बनाया गया था. मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष ने 20 गवाहों की जांच की, जबकि बचाव पक्ष ने दो गवाहों की जांच की. अभियोजन पक्ष ने अपनी अंतिम दलीलों में कहा था कि आरोपी अंधविश्वास के खिलाफ दाभोलकर के अभियान के विरोधी थे. पुणे पुलिस ने शुरू में मामले की जांच की थी. केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने 2014 में बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के बाद जांच अपने हाथ में ली और जून 2016 में हिंदू दक्षिणपंथी संगठन सनातन संस्था से जुड़े ईएनटी सर्जन डॉ. वीरेंद्रसिंह तावड़े को गिरफ्तार किया था.
अभियोजन पक्ष के अनुसार, तावड़े हत्या के मास्टरमाइंड में से एक था. तावड़े और कुछ अन्य आरोपी सनातन संस्था से जुड़े हुए थे. सीबीआई ने पहले अपने आरोपपत्र में भगोड़े सारंग अकोलकर और विनय पवार को शूटर के रूप में नामित किया था. लेकिन बाद में इसने सचिन अंदुरे और शरद कालस्कर को गिरफ्तार किया और एक पूरक आरोपपत्र में दावा किया कि उन्होंने दाभोलकर को गोली मारी थी. इसके बाद, केंद्रीय एजेंसी ने अधिवक्ता संजीव पुनालेकर और विक्रम भावे को कथित सह-षड्यंत्रकारियों के रूप में गिरफ्तार किया.
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