Maharashtra News: नासिक के भूजल सर्वेक्षण विभाग की रिपोर्ट से कई चिंंताजनक जानकारियां सामने आ रही हैं. इस रिपोर्ट के बाद नासिक जिले के 776 गांवों में कुआं खोदने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. दरअसल, पेयजल और सिंचाई के लिए पानी की अत्यधिक निकासी के कारण जल स्तर में कमी आई है. जिन गांवों ने 100 प्रतिशत से अधिक दोहन किया है, उन्हें आगे कुओं की खुदाई पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया गया है.


एबीपी माझा की रिपोर्ट के मुताबिक, नासिक जिले के कई तालुकों में जलस्तर कम हो गया है. नासिक जिले में सबसे अधिक कृषि होती है और मुख्य रूप से प्याज, गन्ना, गेहूं और अंगूर जैसे बागों की भी खेती की जाती है. सर्वेक्षण विभाग ने जानकारी दी है कि येवला, निफाड, सिन्नर और इगतपुरी, कलवल, नासिक तालुकों में, जहां सबसे ज्यादा खेती होती है, भूजल स्तर गंभीर रूप से गिर गया है.


किसानों पर आई जल आपदा


नासिक तालुका में गिरवाने-आलंदी बांध से सटे गांवों में भी भूजल स्तर में बहुत गंभीर गिरावट देखी गई है. इसलिए किसानों को अब खेत में फसल बचाने के लिए बड़ी मशक्कत करनी होगी.कुछ जगहों पर अंगूर, प्याज, गेहूं जैसी फसलों के लिए पर्याप्त पानी नहीं है और स्थिति यह पैदा हो गई है कि भविष्य में किसानों को इस फसल को बचाने के लिए टैंकरों की व्यवस्था करनी पड़ सकती है. जनवरी महीने में ही पानी की कमी के कारण किसानों की फसलों के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिलने की आशंका है. कृषि उत्पादन में भी बड़ी गिरावट आ रही है.


इन किसानों को नहीं मिलेगा अनुदान


नासिक तालुका के मटुरी-मुंगसरा शिवरा में बेहद गंभीर स्थिति देखने को मिली. किसानों को सरकारी अनुदान भी नहीं मिलेगा क्योंकि भूजल सर्वेक्षण रिपोर्ट आने के बाद किसानों को अलग से कुआं खोदने की अनुमति नहीं देने का निर्देश है. इससे इन किसानों के सामने दोहरा संकट खड़ा हो गया है. जल स्तर के नीचे जाने का मुख्य कारण पानी का अत्यधिक अवशोषण और वर्षा जल को रोकने में विफलता है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि पानी रोकने के लिए सरकार की योजनाओं को प्रभावी ढंग से क्रियान्वित किया जाए.


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