Nawab Malik Money Laundering Case: बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) ने मंगलवार को कहा कि क्या एनसीपी नेता नवाब मलिक (Nawab Malik) एक 'बीमार व्यक्ति' हैं, जैसा कि धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के प्रावधानों के तहत परिभाषित किया गया है तो वह जमानत के हकदार होंगे. न्यायमूर्ति एम एस कार्णिक की एकल पीठ ने महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री की जमानत याचिका पर सुनवाई के लिए 21 फरवरी की तारीख तय करते हुए यह भी कहा कि उनके वकीलों को पहले अदालत को संतुष्ट करना होगा कि मलिक अस्वस्थ हैं और इसलिए उन्होंने चिकित्सा आधार पर जमानत मांगी है.
नवाब मलिक की जमानत को लेकर क्या बोले न्यायाधीश
मलिक को 23 फरवरी, 2022 को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा पीएमएलए के प्रावधानों के तहत भगोड़े गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम और उसके सहयोगियों की गतिविधियों से जुड़ी एक जांच के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था. न्यायमूर्ति कार्णिक ने कहा, “अगर मैं चिकित्सकीय रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं हूं तो आपको (मलिक) अपनी बारी (गुण-दोष के आधार पर जमानत याचिका पर सुनवाई के लिए) का इंतजार करना होगा. पीठ के पास अन्य जरूरी मामले हैं. मैं नहीं चाहता कि कल कोई कुछ कहे.”
PMLA के तहत क्या हैं जमानत की शर्तें?
पीठ ने मलिक के वकील अमित देसाई और ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) अनिल सिंह से भी कहा कि वे इस बात पर दलील पेश करें कि धन शोधन निवारण अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार कौन “बीमार व्यक्ति” है. पीएमएलए की धारा 45 के तहत जमानत के लिए “जुड़वा शर्तें” लागू की जाती हैं जिसमें पहली है कि यह विश्वास करने के लिए उचित आधार होना चाहिए कि आरोपी प्रथम दृष्टया अपराध का दोषी नहीं है और दूसरी, जमानत पर रहने के दौरान आरोपी कोई अपराध नहीं करेगा. वहीं, अगर आरोपी की उम्र 16 साल से कम है या वह महिला है या बीमार है तो ये जुड़वां शर्तें लागू नहीं होंगी और फिर उसे जमानत पर रिहा किया जा सकता है.
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