Sharad Pawar Resignation: महाराष्ट्र (Maharashtra) की राजनीति में शरद पवार को नकार कर चलना पिछले पचास सालों से संभव नहीं हो पाया है. यही वजह है कि शरद पवार सत्ता से बाहर रहकर भी महाराष्ट्र की राजनीति की धुरी बने रहे हैं. शरद पवार की राजनीतिक ताकत का अहसास साल 2019 में भी हुआ था जब बड़े ही नाटकीय ढंग से देवेंद्र फड़णवीस ने अजित पवार के साथ शपथ लेकर सरकार बनाने की घोषणा कर दी थी.


उस समय सूबे में दो दिनों तक शरद पवार के स्टैंड को लेकर उहापोह की स्थिति रही थी, लेकिन दो दिन बाद शरद पवार ने बीजेपी के साथ न जाकर सरकार को गिरा दिया था. ऐसे में शरद पवार के इस दांव ने बीजेपी के पूरे खेल को बिगाड़ दिया था. वहीं बीजेपी सरकार गिरने के बाद एक बार फिर शरद पवार ये साबित करने में कामयाब रहे कि एनसीपी के बॉस तो वो हैं ही साथ ही उनकी रजामंदी के बैगर सूबे में सरकार बनाना आसान नहीं हैं. 


वहीं आरोप लगता रहा है कि, ये ड्रामा शरद पवार द्वारा ही रचा गया था क्योंकि शरद पवार ऐसा कर कांग्रेस पर दबाव बनानें में सफल रहे थे. दरअसल, शिवसेना के साथ मिलकर कांग्रेस सरकार बनाने के पक्ष में नहीं थी. इसलिए शरद पवार ने ऐसा मास्टर स्ट्रोक खेल कांग्रेस पर दबाव बनाया. वहीं पवार बीजेपी की सरकार को गिराकर अपने राजनीतिक ग्राफ को ऊपर बढ़ाने में कामयाब रहे थे.


क्या था पूरा मामला?
2019 के चुनाव की बात करें तो बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. उसके खाते में 105 सीटें गई थीं, वहीं तब उसकी साथी शिवसेना ने 56 सीटें जीत ली थीं,  ऐसे में दोनों के पास साथ मिलकर स्पष्ट बहुमत था. लेकिन मुख्यमंत्री कौन बनेगा वाली लड़ाई ने शिवसेना को बीजेपी से अलग करवा दिया और शरद पवार के भतीजे अजित पवार के साथ बीजेपी की सरकार बनाना महाराष्ट्र में सबसे बड़े राजनीतिक आश्चर्य में से एक था. तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने 23 नवंबर, 2019 को आश्चर्यचकित करते हुए सुबह के समारोह में फडणवीस को मुख्यमंत्री और अजित पवार को उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई.


वहीं दूसरे ही दिन शरद पवार ने एनसीपी विधायकों की बैठक बुलाई और अजित पवार धड़े के विधायकों को फोन कर तलब किया. विधायकों ने हिम्मत नहीं दिखाई कि वो शरद पवार के कहे को टाल दें. नतीजा ये हुआ कि अजित पवार दूसरे छोर पर अकले खड़े रह गए. इस पूरे सियासी ड्रामे के बाद अजित पवार को उलटे पांव लौटना पड़ा और नतीजा ये हुआ कि यह सरकार सिर्फ तीन दिन चली, जिसके बाद उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने कांग्रेस एनसीपी से हाथ मिलाकर महाराष्ट्र में सरकार बनाई.



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