NCP Whip: मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग के लिए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में दो व्हिप जारी हो गए हैं. एबीपी न्यूज़ के पास दोनों व्हिप की कॉपी है. ABP माझा के अनुसार, एक तरफ अजित पवार खेमे से सुनील तटकरे ने व्हिप हटा लिया है तो वहीं दूसरी तरफ शरद पवार खेमे से मोहम्मद फजल ने भी व्हिप हटा लिया है. इसलिए लोकसभा में एनसीपी सांसद इस बात को लेकर उत्सुक हैं कि वे मोदी सरकार के पक्ष में वोट करेंगे या विपक्ष में.
कौन किसके पक्ष में करेगा वोट?
एनसीपी पार्टी में दो गुटों के पतन के बाद दो व्हिप सामने आए हैं. लोकसभा में एनसीपी के पांच सांसद हैं. इनमें से चार महाराष्ट्र से सांसद हैं. सांसद सुप्रिया सुले, अमोल कोल्हे, श्रीनिवास पाटिल और मोहम्मद फजल शरद पवार गुट के हैं. जबकि सुनील तटकरे अजित पवार गुट के हैं. सुनील तटकरे द्वारा निकाले गए व्हिप में उन्होंने सभी को मोदी सरकार के पक्ष में और अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ वोट करने का आदेश दिया है. उधर, मोहम्मद फजल ने व्हिप जारी कर अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में वोट करने का आदेश दिया.
क्या है व्हिप?
भविष्य की कार्रवाई इस बात पर निर्भर करती है कि लोकसभा अध्यक्ष किस व्हिप को आधिकारिक व्हिप के रूप में मंजूरी देते हैं. व्हिप का उल्लंघन दलबदल अधिनियम के तहत एक गंभीर अपराध माना जाता है, जिसमें अयोग्यता की तलवार लटकती है. यदि बचाव का रास्ता मतदान से बचना है तो अनुपस्थिति या बैठक का बहिष्कार करने जैसे विकल्पों का भी उपयोग किया जाता है. देखना होगा कि क्या वे वास्तव में सदन में उपस्थित होकर विकल्पों का प्रयोग करेंगे या अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष या विपक्ष में मतदान करेंगे.
आज सदन में बोलेंगे प्रधानमंत्री मोदी
लोकसभा में आज अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा होगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज शाम 4 बजे अविश्वास प्रस्ताव पर जवाब देंगे. मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर 8 अगस्त से लोकसभा में बहस शुरू हुई. कांग्रेस के गौरव गोगोई ने चर्चा शुरू करते हुए साफ कर दिया था कि विपक्ष का एजेंडा मणिपुर होगा. बुधवार (9 अगस्त) को राहुल गांधी ने मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर बीजेपी और प्रधानमंत्री पर आक्रामक हमला बोला.
उनका जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने जोरदार दलील दी. आज भी दोनों पक्षों के सांसद अविश्वास प्रस्ताव पर बहस में हिस्सा लेंगे. अंत में प्रधानमंत्री मोदी अविश्वास प्रस्ताव पर बहस का जवाब देंगे. 2018 में भी मोदी को अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा था. तब भी विपक्ष के पास संख्या बल नहीं था.
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