Money Laundering Case: नवाब मलिक की ईडी कस्टडी खत्म, कोर्ट ने14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा
Money Laundering Case: ED द्वारा धनशोधन मामले में गिरफ्तार NCP नेता और मंत्री नवाब मलिक (Nawab Malik) की रिमांड की अवधि आज खत्म हो गई. जिसके बाद अदालत ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया.
Money Laundering Case: ईडी द्वारा धनशोधन मामले में गिरफ्तार एनसीपी नेता और मंत्री नवाब मलिक की रिमांड की अवधि आज खत्म हो गई. ईडी ने नवाब मलिक को पीएमएलए कोर्ट के समक्ष पेश किया, जिसके बाद अदालत ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया. नवाब मलिक को 23 फरवरी को लंबी पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया था. गिरफ्तारी के बाद नवाब मलिक को 3 मार्च तक के लिए रिमांड पर भेजा था.
इसके बाद उन्हें अदालत में पेश किया गया और कोर्ट ने उनकी हिरासत को 7 मार्च तक के लिए बढ़ा दिया गया था. आज रिमांड की अवधि खत्म होने के बाद अदालत ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया है.
Dawood Ibrahim money laundering case | Maharashtra Minister and NCP leader Nawab Malik has been sent to 14-day judicial custody by Special PMLA court in Mumbai.
— ANI (@ANI) March 7, 2022
बीजेपी कर रही इस्तीफे की मांग
नवाब मलिक की गिरफ्तारी के बाद से ही बीजेपी लगातार नवाब मिलक के इस्तीफे की मांग कर रही है. गिरफ्तारी के 13 दिन बाद भी अभी तक एमवीए सरकार (MVA Govt) ने उनका इस्तीफा नहीं लिया है. इसे लेकर बीजेपी लगातार उनके इस्तीफे की मांग को लेकर विधानसभा के बाहर प्रदर्शन कर रही है. महाराष्ट्र में इस समय बजट सत्र चल रहा है और बीजेपी लगातार इस्तीफे की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रही है. आज भी बीजेपी के विधायकों ने विधानसभा के सामने जमकर प्रदर्शन किया.
नवाब मलिक पर लगे हैं गंभीर आरोप
ईडी ने नवाब मलिक को कई गंभीर आरोपों के चलते गिरफ्तार किया है. ईडी का आरोप है कि नवाब मलिक ने दाऊद इब्राहिम (Dawood Ibrahim) के सहयोगियों- हसीना पारकर (Haseena parkar), सलीम पटेल (Saleem Patel) और सरदार खान (Sardar Khan) के साथ मिलकर मुंबई के कुर्ला में मुनीरा प्लंबर की पैतृक संपत्ति को हड़पने के लिए एक आपराधिक साजिश रची.
इस पैतृक संपत्ति की कीमत लगभग 300 करोड़ रुपये है. ईडी ने दावा किया था कि मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए इस अपराध अंजाम दिया गया. ईडी ने यह मामला दाऊद इब्राहिम और अन्य के खिलाफ हाल में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) द्वारा दर्ज प्राथमिकी पर आधारित है. NIA ने UAPA की धाराओं के तहत आपराधिक शिकायत दर्ज की थी. महाराष्ट्र के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री का बयान PMLA के तहत दर्ज किया गया था.