Ladli Behna Yojana News: महाराष्ट्र में महायुति सरकार की ओर से शुरू की गई मुख्यमंत्री लाड़ली बहन योजना का पंजीकरण शुरू हो गया है. हालांकि, कई महिलाओं को अपर्याप्त जानकारी के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. अब खबर आई है कि योजना का आवेदन जमा करने के लिए रिश्वत मांगी जा रही है.
डिप्टी सीएम ने दी चेतावनी
उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने आज चेतावनी दी है कि योजना के आवेदन जमा करने में किसी भी तरह की गड़बड़ी होने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने यह भी कहा कि फॉर्म भरने के लिए अलग से 50 रुपये दिए जाएंगे.
फॉर्म भरने के लिए मिलेंगे पैसे
अजित पवार ने बताया कि लाड़ली बहन योजना के फॉर्म भरने के लिए पैसे मांगने के कई मामले सामने आए हैं. विशेषकर ग्रामीण इलाकों में फॉर्म भरने के लिए पैसे मांगे गए हैं. लेकिन यदि प्रशासन का कोई भी व्यक्ति इस योजना के लिए पैसे मांगता है तो उसे पैसे न दें. सरकार फॉर्म भरने के लिए 50 रुपये अलग से दे रही है. प्रशासन की ओर से पैसे मांगे जाने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.
अजित पवार ने यह भी कहा कि जब लड़की पैदा होती है तो कुछ लोग नाक-भौं चढ़ाते हैं, लेकिन सरकार बेटी के जन्म के बाद 18 साल तक उसे 1 लाख 1 हजार रुपये देती है. महिलाओं को इन योजनाओं का लाभ उठाना चाहिए. सरकार ने महिलाओं के लिए पिंक रिक्शा योजना भी शुरू की है, ताकि वे रिक्शा चला सकें.
डिप्टी सीएम ने बताया कि, बजट पेश करते समय जो महत्वपूर्ण योजना पेश की गई थी, वह थी "लाड़ली बहन योजना". यह योजना जातिगत आधार पर नहीं बल्कि आम जनता के लिए है. यह योजना गांव से लेकर शहर तक की महिला बहनों के लिए है और इससे ढाई करोड़ से अधिक महिलाओं को लाभ मिलेगा. अगर महिलाओं ने अगस्त में आवेदन किया है तो भी इस योजना का लाभ जुलाई से मिलेगा.
MVA से पूछा ये सवाल
अजित पवार ने कहा कि इस योजना की आलोचना की गई है, लेकिन यह योजना सभी क्षेत्रों की महिलाओं के लिए है खासकर गरीबों के लिए. विरोधी आरोप लगाते हैं कि चुनाव की पृष्ठभूमि में महिलाओं की भीड़ जुटाई जा रही है, लेकिन जब वे सत्ता में थे तो उन्होंने कोई योजना क्यों नहीं लाई.
अजित पवार ने आगे कहा, सरकार ने किसानों का बिजली बिल भी माफ किया है और साढ़े आठ लाख सोलर पंप देने की योजना है, जिससे किसानों को बिजली बिल भरने की जरूरत नहीं पड़ेगी. सोलर पंप से किसानों को दिन में बिजली मिलेगी जिससे उन्हें रात में खेत में काम करने की जरूरत नहीं पड़ेगी. इसके अलावा, सोयाबीन और कपास के लिए किसानों को साढ़े चार हजार रुपये दिए जा रहे हैं.
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