New Parliament Inauguration: नए संसद भवन के उद्घाटन पर मचे रार के बीच शिवसेना ने भारतीय जनता पार्टी पर ताजा जुबानी हमला बोला है. शिवसेना के मुखपत्र सामना में भारतीय जनता पार्टी के मार्गदर्शक मंडल लाल कृष्ण आडवाणी का जिक्र करते हुए कटाक्ष किया गया है.


संपादकीय में यह भी आरोप लगाया गया है कि पीएम मोदी, संसद का उद्घाटन इस तरह कर रहे हैं, मानों वह भारतीय जनता पार्टी का दफ्तर हो. इतना ही नहीं शिवसेना ने सरकार के उस कदम की आलोचना भी की है जिसमें नेता विपक्ष को उद्घाटन में निमंत्रण नहीं दिया गया है.


सामना की संपादकीय में लिखा गया है- नए संसद भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री द्वारा दिल्ली में भाजपा मुख्यालय के भव्य उद्घाटन की तरह ही किया जाएगा. संसद में विपक्ष के नेता का पद प्रधानमंत्री के बराबर होता है. निमंत्रण पत्र पर नेता प्रतिपक्ष का नाम होता तो लोकतंत्र की शोभा बढ़ जाती. संसद की अध्यक्ष महामहिम द्रौपदी मुर्मू को आमंत्रित नहीं किया गया.


Maharashtra: सावरकर की जयंती पर हो रहा नए संसद भवन का उद्घाटन, शिंदे की शिवसेना बोली- 'यह राज्य के लिए...'


पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी का जिक्र कर सामना में पूछा गया है- बीजेपी को 'अच्छे दिन' दिखाने वाले लाल कृष्ण आडवाणी को उद्घाटन में आमंत्रित किया गया? या उन्हें भी गेट पर ही रोका जाएगा! जहां देश के राष्ट्रपति को उद्घाटन समारोह में आमंत्रित नहीं किया गया, वहां आपको-हमें आमंत्रित किया जाए या नहीं, क्या फर्क है?


सामना में लिखा- राष्ट्रपति के पास साधारण आमंत्रण भी नहीं...
शिवसेना के मुखपत्र में लिखा गया है- भारतीय जनता पार्टी लोगों को गुमराह करने में माहिर है. दिल्ली में रविवार को नए संसद भवन का उद्घाटन हो रहा है और 20 विपक्षी दलों ने उद्घाटन समारोह का बहिष्कार किया है. अगर प्रधानमंत्री मोदी बहिष्कार की परवाह किए उद्घाटन करने का फैसला करते हैं, तो यह उनका मामला है. बीजेपी के नेता इस बात की आलोचना कर रहे हैं कि 20 दलों ने संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार किया, लेकिन सच्चाई यह है कि 20 प्रमुख दल नए संसद भवन के उद्घाटन के खिलाफ नहीं हैं. विवाद की बात यह है कि राष्ट्रपति के पास उद्घाटन का साधारण आमंत्रण भी नहीं है. 


सामना में लिखा गया है- राष्ट्रपति के लिए संसद भवन का उद्घाटन करना पारंपरिक होता, लेकिन “मैंने यह नया संसद भवन बनाया है, यह मेरी संपत्ति है. इसलिए उद्घाटन की आधारशिला पर सिर्फ मेरा नाम रहेगा. "मैं और केवल मैं!" मोदी की नीति है. यह अहंकार लोकतंत्र के लिए हानिकारक है.