Mumbai: साल 2011 में ताज प्रेसिडेंट होटल के एक कमरे में रमी खेलने के आरोप में शहर के 9 व्यवसायियों को दोषी ठहराते हुए कोर्ट ने उन्हें 6 महीने की कैद की सजा सुनाई. बता दें कि महाराष्ट्र जुआ रोकथाम अधिनियम के तहत इन 9 व्यवसायियों पर होटल के कमरे में जुआ खेलने के लिए मामला दर्ज किया गया था. पुलिस ने आरोपियों के कमरे से 3.25 लाख रुपए बरामद किये थे. मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट एवी कुलकर्णी ने उनसे भविष्य में अच्छे व्यवहार का बॉन्ड न भरवाते हुए उन्हें  6 महीने जेल की सजा सुनाई.


जुआ खेलने के लिए आरोपियों ने बुक किया था कमरा
एसीपी वसंत धोबले ने घटना की जानकारी मिलने के बाद  होटल के कमरे पर छापा मारा था. बता दें कि साल 2015 में रिटायर हुए धोबले ने अपने कार्यकाल के दौरान शहर में पब, रेस्तरां के खिलाफ कई देर रात छापेमारी के लिए सुर्खियां बटोरी थीं. 9 व्यापारियों को सजा सुनाते हुए मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने कहा कि इस में कोई दोराय नहीं कि आरोपियों ने जुआ खेलने के लिए फाइव स्टार होटल बुक किया था. कोर्ट ने कहा कि 2011 में आरोपियों के पास से भारी मात्रा में नकदी बरामद हुई थी. इस तथ्य को देखते हुए आरोपियों को 6 महीने की कैद और 2 हजार रुपए का जुर्माना लगाना पर्याप्त होगा.


इन 9 व्यवसायियों को कोर्ट ने सुनाई सजा
इन व्यवसायियों पर आरोप था कि 27 अगस्त 2011 की आधी रात को आरोपी अश्विन भंसाली और संदीप चालके होटल की छठी मंजिल पर रुके थे और होटल के कमरे को कॉमन गेमिंग हाउस के रूप में इस्तेमाल किया. दोषी पाए गए अन्य सात व्यवसायी नरेश येल्डी, सुरेश सबुला, केतन शाह, श्रवण जैन, रमेश राठौड़, मनोज जसानी और राज फड़ भी जुआ खेलने में शामिल थे.


अधिवक्ता बोले- मामले में कोई स्वतंत्र गवाह नहीं
हालांकि, आरोपियों के बचाव पक्ष में अधिवक्ताओं ने कहा कि पुलिस ने इस मामले में केवल आरोप पत्र दायर किया था, उन्होंने होटल के मैनेजर का बयान दर्ज नहीं किया था और इस मामले में कोई स्वतंत्र गवाह भी नहीं था. अभियोजन पक्ष ने पांच गवाहों से पूछताछ की, जिनमें से चार पुलिस वाले थे और छापे के दौरान एक पंच गवाह भी मौजूद थे. अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष के लिए सबसे अच्छे गवाह शायद एसीपी किशोर नाथू घर्टे थे, जो छापेमारी दल के प्रभारी अधिकारी थे, जो ढोबले सहित दो अन्य एसीपी के साथ घटनास्थल पर गए थे. घर्टे ने कहा कि सभी आरोपी जुए में शामिल थे और उन्होंने आरोपी चालके के नाम पर होटल का कमरा बुक किया था. अदालत ने यह भी कहा कि केवल इसलिए कि ज्यादातर गवाह पुलिस विभाग से थे, यह नहीं कहा जा सकता कि उनकी गवाही विश्वसनीय नहीं थी.


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