One Nation One Election: केंद्र सरकार द्वारा देश में एक देश, एक चुनाव को सभीलेकर कमेटी गठित करने के बाद राजनीतिक गहमागहमी बढ़ गई है. सभी राजनीतिक दल इस पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं. इस मुद्दे पर उद्धव बाला साहेब ठाकरे गुट वाली शिवसेना के नेता अनिल देसाई ने कहा कि सरकार को सभी राजनीतिक दलों से बात करनी चाहिए.


उन्होंने कहा कि पहले इस मामले में  विभिन्न राजनीतिक दलों के सामने रखने की जरूरत है और फिर विचार, योगदान, विचार-विमर्श और चर्चा की जाएगी. इसके बाद निर्णय हो.


वहीं राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा कि ...एक राष्ट्र, एक चुनाव ठीक है, लेकिन निष्पक्ष चुनाव होना चाहिए. वे (केंद्र) निष्पक्ष चुनाव की हमारी मांग को टालने के लिए इसे लेकर आए हैं. मुझे लगता है चुनाव आगे टालने के लिए यह षड़यंत्र है.


उन्होंने कहा कि इंडिया से डर के ये लोग बौखला गए हैं, इसलिए मीटिंग से ध्यान हटाने को लेकर ये सब केलकर आते हैं. जब सेशन चलता है, तब तो संसद चलने नहीं देते.


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सरकार ने बनाई कमेटी
बता दें सरकार ने ‘‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’’ की संभावनाएं तलाशने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है. सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. सरकार द्वारा 18 सितंबर से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाए जाने के एक दिन बाद यह कदम सामने आया है. सरकार ने हालांकि संसद के विशेष सत्र का एजेंडा घोषित नहीं किया है.


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने पर कई साल से दृढ़ता से जोर दे रहे हैं और इस संबंध में संभावनाओं पर विचार का जिम्मा कोविंद को सौंपने का निर्णय, चुनाव संबंधी अपने दृष्टिकोण के विषय में सरकार की गंभीरता को रेखांकित करता है.


नवंबर-दिसंबर में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं और इसके बाद अगले साल मई-जून में लोकसभा चुनाव हैं. सरकार के इस कदम से आम चुनाव एवं कुछ राज्यों के चुनाव को आगे बढ़ाने की संभावनाएं भी खुली हैं, जो लोकसभा चुनावों के बाद में या साथ होने हैं.