One Nation-One Election पर राज ठाकरे की प्रतिक्रिया, केंद्र सरकार को जमकर सुनाया, कर दी ये मांग
One Nation-One Election: नरेंद्र मोदी कैबिनेट ने वन नेशन, वन इलेक्शन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. मोदी सरकार की तरफ से प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद मनसे प्रमुख राज ठाकरे की प्रतिक्रिया आई है.
Raj Thackeray On One Nation-One Election: 'एक देश, एक चुनाव' पर केंद्र की नरेंद्र मोदी कैबिनेट ने मुहर लगा दी है. बुधवार को मोदी कैबिनेट ने देश में सभी चुनाव एक साथ करवाने के लिए बनी रामनाथ कोविंद कमेटी की रिपोर्ट को पास कर दिया. इसके बाद से मोदी सरकार के इस फैसले पर तमाम नेताओं की प्रतिक्रिया सामने आ रही है.
इस बीच मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने कहा, "अगर केंद्र सरकार एक राष्ट्र, एक चुनाव सुधार को लेकर इतनी चिंतित है तो उसे महाराष्ट्र में जल्द से जल्द स्थानीय नगर निकायों के चुनाव कराने चाहिए." उन्होंने कहा कि बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) सहित राज्य में कई नगर निकायों के चुनाव लंबित हैं. अगर चुनावों को इतना महत्व दिया जा रहा है, तो पहले नगर निकाय चुनाव कराएं.
राज ठाकरे ने और क्या कहा?
राज ठाकरे ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर ट्वीट कर कहा, "केंद्रीय कैबिनेट ने एक देश, एक चुनाव की अवधारणा को मंजूरी दे दी. यह केवल केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी है और इसे अभी भी संसद की मंजूरी की जरूरत है. निश्चित रूप से देश के हर राज्य की राय को ध्यान में रखना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि राज्यों के अधिकार और स्वायत्तता इस तरह से प्रभावित नहीं होंगी."
एमएनएस चीफ ने कहा, "खैर, अगर किसी राज्य में सरकार गिर जाए या विधानसभा भंग हो जाए तो क्या पहले चुनाव होगा? क्या उस राज्य को लोकसभा कार्यकाल खत्म होने तक इंतजार करना चाहिए? या फिर किन्हीं कारणों से लोकसभा के मध्यावधि चुनाव हुए तो क्या देश के सारे चुनाव वापस करा दिए जाएंगे? ऐसा कोई खुलासा नहीं किया गया है. ऐसा हो सकता है."
राज ठाकरे ने आगे कहा, "एक देश एक चुनाव तो ठीक है, पहले राज्य में नगर पालिकाओं और नगर पालिकाओं के चुनाव करा लें. आने वाले अक्टूबर 2024 में कई नगर पालिकाओं और नगर पालिकाओं में प्रशासक आए चार साल हो जाएंगे. इतने लंबे समय तक कोई पार्षद नहीं मतलब कोई जनप्रतिनिधि नहीं. क्या यह अधिक महत्वपूर्ण नहीं है? स्थानीय स्व-सरकारी निकाय सीधे तौर पर आम लोगों के जीवन और उनकी समस्याओं से जुड़े होते हैं. अगर चुनाव ही नहीं कराएंगे तो आम आदमी किसके पास जाएगा."