Maharashtra News: महाराष्ट्र के पालघर (Palghar) जिले में एक अदालत ने नाबालिग से दुष्कर्म (Rape) के 27 साल के एक आरोपी को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया. यौन अपराध से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) के मामलों पर विशेष अदालत के न्यायाधीश डॉक्टर एम. एस. देशपांडे ने सात अक्टूबर को आदेश पारित किया जो शनिवार को उपलब्ध हुआ. न्यायाधीश ने कहा कि पीड़ित पक्ष आरोपी के खिलाफ आरोप साबित करने में नाकाम रहा. आरोपी यहां दहानु तालुका से है जो पेशे से मजदूर है.
कई बार किया रेप
पीड़ित पक्ष ने अदालत को बताया कि आरोपी और पीड़ित दोनों पड़ोसी थे. 2017 में एक उत्सव के दौरान पीड़ित एक पंडाल गई थी. आरोपी उसे फिर एक सुनसान जगह ले गया, जहां आरोपी ने कथित रूप से पीड़िता से बलात्कार किया. अभियोजन पक्ष के अनुसार आरोपी ने अप्रैल 2018 तक कई बार पीड़िता से बलात्कार किया जिसके बाद वह गर्भवती हो गई.
दोनों एक दूसरे से प्यार करते थे
जब पीड़िता की मां को उसकी गर्भावस्था का पता चला तो उसने व्यक्ति के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. इसके बाद बलात्कार और यौन अपराध से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) कानून के संबंधित प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया. न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा कि पीड़ित के बयान से पता चलता है कि आरोपी उसका पड़ोसी था और दोनों एक दूसरे से प्यार करते थे.
पीड़िता ने कहा
अदालत ने कहा, पीड़िता के अनुसार घटना के वक्त वह 18 साल की थी. अभियोजन पक्ष ने पीड़िता की सही उम्र और जन्मतिथि को रिकॉर्ड में लाने के लिए किसी गवाह से पूछताछ नहीं की है. इसलिए आरोप पत्र के साथ दायर जन्म प्रमाण पत्र की प्रति को अभियोजन पक्ष ने साबित नहीं किया. अदालत ने यह भी कहा कि पीड़िता ने अपनी उम्र, जन्म तिथि और आरोपी द्वारा उससे बलात्कार, यौन उत्पीड़न के बारे में अभियोजन पक्ष के मामले का समर्थन नहीं किया.पीड़िता की मां ने जिरह के दौरान माना कि उसकी बेटी और आरोपी साथ रह रहे हैं और उनका एक बेटा है. पीड़िता की मां के अनुसार उन्हें आरोपी के खिलाफ कोई शिकायत नहीं है. अदालत ने कहा कि एक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के कहने पर मामला दर्ज किया गया था.
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