History of Panhala Fort: यदि आप घूमने फिरने के शौकीन हैं और यदि आपको किसी रोमांचक जगह की तलाश है तो हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसी जगह, जहां घूमना आपके लिए एक शानदार अनुभव हो सकता है. इस बेहद खूबसूरत, प्राकृतिक सौंदर्य से लबरेज और बेदर रोमांचकारी जगह का नाम है पन्हाला किला. जी हां, यह खूबसूरत किला महाराष्ट्र में स्थित है. इस किले को सांपों का किला भी कहा जाता है. मगर क्यों? आइए जानते हैं.
पन्हाला किले का इतिहास
पन्हाला किला कोल्हापुर के मुख्य शहर से 20 किमी दूर स्थित है. यह किला देश के सबसे बड़े किलों में से एक है और पूरे दक्कन क्षेत्र में सबसे बड़ा किला है. किले का निर्माण 1178-1209 के बीच शिलाहार शासक भोज द्वितीय द्वारा कराया गया था. ऐतिहासिक रूप से इस किले का काफी महत्व है क्योंकि यहां कई राजवंश जैसे यादवों आदिल शाहिस, बहामनी सुल्तानों आदि ने शासन किया. किलो को लेकर लोगों में यह भी मिथक है कि 1673 ईस्वीं में इस किले पर मराठा शौर्य शिवाजी महाराज ने भी शासन किया. कहा यह भी जाता है कि किले में सबसे ज्यादा समय शिवाजी महाराज ने ही बिताया था. हालांकि, उसके बाद इस किले पर अंग्रेजों का कब्जा हो गया था. बताया जाता है कि यह किला 800 साल से भी ज्यादा पुराना है. पन्हाला किले से जुड़ एक रोचक पहलू ये है कि कहां राजा भोज और कहां गंगू तेली कहावत यहीं से ली गयी. पन्हाला किले को पन्हाला, पहालगढ़ और पहाल वगैरह नामों से भी जाना जाता है.
आखिर क्यों कहा जाता है इसे सांपों का किला
दरअसल इस किले की बनावट टेडी मेडी है. मतलब कि यह किला देखने में ऐसा लगता है जैसे की कोई सांप चल रहा हो. इस किले के अंदर तीन मंजिला इमारत के नीचे एक कुआं भी है जिसे गुप्त रूप से बनाया गया है, जिसे अंधाड़ बावड़ी कहा जाता है. माना जाता है कि इस बावड़ी को मुगल शासक आदिल शाह ने बनवाया था. इसके पीछे आदिल शाह का मानना था कि यदि कोई दुश्मन किले पर हमला करता है तो वह आस पास के कुओं और तालाबों में जहर मिला सकता है और तब यब बावड़ी पीने योग पानी के लिए इस्तेमाल में लाई जा सकेगी.
इसी किले से जुड़ा जूनाराजबाड़ा में कुलदेली तुल्चा भवानी का भी मंदिर है जिसको लेकर कहा जाता है कि मंदिर में एक सुरंग है जो सीधे 22 किमी दूर पन्हाला किले में खुलती है. फिल्हाल किले का एतिहासिक महत्व यहां की प्राकृतिक खूबसूरती और शांत माहौल पर्यटकों को अपनी ओर खींचते हैं.
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