Patra Chawl Scam: शिवसेना सांसद संजय राउत को आखिरकार बुधवार को पीएमएलए कोर्ट ने बड़ी राहत देते हुए जमानत दे दी है. शिवसेना नेता संजय राउत फिलहाल मुंबई की पात्रा चॉल घोटाले के मामले में जेल में बंद हैं. पात्रा चॉल पुनर्विकास परियोजना से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में शिवसेना नेता संजय राउत को उनकी कथित भूमिका के लिए 1 अगस्त को गिरफ्तार किया था. इसके बाद राउत ने अपनी जमानत याचिका के लिए कई बार अदालत का दरवाजा खटखटाया लेकिन उन्हें जमानत नहीं मिली.
इस मामले को लेकर जांच एजेंसी ने अदालत को बताया है कि संजय राउत को इस घाटोले के कुल पैसों से 27 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं. शिवसेना नेता अपने सहयोही प्रवीण राउत के जरिए पर्दे के पीछे से काम कर रहे थे. ईडी की जांच राउत की पत्नी और सहयोगियों से संबंधित वित्तीय लेनदेन में कथित वित्तीय अनियमितताओं से संबंधित है.
14 सालों में किरायेदारों को एक भी फ्लैट नहीं मिला
साल 2008 में महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी ने एचडीआईएल (हाउसिंग डेवलपमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड) की एक सहयोगी कंपनी गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड (जीएसीपीएल) को चॉल के लिए एक पुनर्विकास एग्रीमेंट सौंपा था. जिसमें जीएसीपीएल को किरायेदारों के लिए 672 फ्लैट बनाने और कुछ फ्लैट MHADA को देने थे और शेष जमीन निजी डेवलपर्स को बेचने का अधिकार था. हालांकि पिछले 14 सालों में किरायेदारों को एक भी फ्लैट नहीं मिला.
पात्रा चॉल केस क्या है?
शिवसेना नेता संजय राउत पात्रा चॉल घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में फंस हुए हैं. इस स्कैम की शुरुआत साल 2007 में हुई. आरोप है कि महाराष्ट्र हाउसिंग एंड डिवलपमेंट अथॉरिटी यानी MHADA के साथ प्रवीण राउत, गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन और हाउसिंग डेवलपमेंट एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड की मिलीभगत से घोटाले को अंजाम दिया गया.
म्हाडा ने पात्रा चॉल के रिडेवलपमेंट का कार्य गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन कंपनी को दिया था जिसमें 1034 करोड़ के घोटाले का आरोप है. ये कंपनी प्रवीण राउत की है. पात्रा चॉल में 3 हजार फ्लैट बनाए जाने थे जिनमें से 672 फ्लैट चॉल के निवासियों को मिलने थे. वहीं, प्राइवेट बिल्डरों को जमीन बेचने का उन पर आरोप है.
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