Maratha Reservation: मराठा आरक्षण के खिलाफ जनहित याचिका, कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से चार सप्ताह में मांगा जवाब
Maratha Reservation News: महाराष्ट्र सरकार ने मराठा समुदाय के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण दिया है. इसके खिलाफ कोर्ट में एक जनहित याचिका डाली गई है.
Bombay High Court: बंबई हाई कोर्ट ने मराठा समुदाय को नौकरियों और शिक्षा में 10 प्रतिशत आरक्षण देने के फैसले के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर गुरूवार को महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ एस डॉक्टर की खंडपीठ ने राज्य को चार सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने को कहा है.
पीठ ने सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ा वर्ग (एसईबीसी) अधिनियम 2024 के लाभार्थियों द्वारा दायर हस्तक्षेप आवेदनों को भी अनुमति दी. महाराष्ट्र विधानमंडल ने 20 फरवरी को सर्वसम्मति से महाराष्ट्र राज्य सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ा विधेयक 2024 पारित किया, जिसमें शिक्षा और सरकारी नौकरियों में मराठा समुदाय के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया गया है.
पिछले हफ्ते, अधिवक्ता जयश्री पाटिल और अन्य ने राज्य सरकार के कदम के खिलाफ एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि सरकार और विपक्ष ने ‘घटिया राजनीति’ के लिए ऐसा निर्णय लिया गया है .
शिवबा संगठन के नेता मनोज जारांगे-पाटिल ने मराठा समुदाय और महाराष्ट्र सरकार के आग्रह पर अपने गांव अंतरवली-सरती में अपनी 17 दिन लंबी भूख हड़ताल खत्म कर दी है. इलाज के बाद वह मराठा आरक्षण के लिए राज्यव्यापी यात्रा शुरू करेंगे. जारांगे-पाटिल ने मुंबई जाने की अपनी योजना रद्द कर दी, भूख हड़ताल तोड़ दी, लेकिन घोषणा की कि 'सेज-सोयारे' (पारिवारिक वंश) के तहत मराठों के लिए कोटा हासिल करने का आंदोलन अपने तार्किक अंत तक जारी रहेगा.
पिछले हफ्ते, महाराष्ट्र विधानमंडल के एक विशेष सत्र में राज्य सरकार ने सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए महाराष्ट्र राज्य आरक्षण विधेयक, 2024 पारित किया, जिसमें मराठों को 10 प्रतिशत कोटा दिया गया. जारांगे-पाटिल मराठों को 'कुनबी जाति' घोषित करने और उन्हें ओबीसी श्रेणी से अलग कोटा देने, 26 जनवरी को मसौदा जारी होने के बाद 'सेज-सोयारे' के लिए एक औपचारिक अधिसूचना और अन्य मांगों पर अड़े हुए हैं.
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