Maharashtra: प्रफुल्ल पटेल का दावा- NCP विधायकों ने शरद पवार से सरकार बनाने के लिए BJP से हाथ मिलाने का किया था आग्रह
Maharashtra Politics: एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने शरद पवार को लेकर एक बड़ा दावा किया है. उन्होंने कहा, 'अगर सवाल यह है कि क्या हमें बीजेपी से बात करने की अनुमति दी गई थी, तो इसका जवाब हां है.'
Praful Patel on Sharad Pawar: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अजित पवार खेमे के राज्यसभा सदस्य प्रफुल्ल पटेल ने गुरूवार को दावा किया कि वर्तमान में शरद पवार के साथ जुड़े नेताओं ने पिछले साल जून में एक पत्र पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें पार्टी संस्थापक को महाराष्ट्र में सरकार बनाने के वास्ते बीजेपी के साथ हाथ मिलाने के लिए कहा गया था. इस साल दो जुलाई को अजित पवार और आठ विधायकों के एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल होने के बाद एनसीपी में फूट पड़ गई.
क्या बोले प्रफुल्ल पटेल?
‘इंडिया टुडे कॉन्क्लेव’ में पटेल ने कहा, ‘‘जो लोग वर्तमान में शरद पवार के साथ हैं, उन्होंने एक पत्र पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें उनसे 2022 में बीजेपी के साथ हाथ मिलाने का अनुरोध किया गया था. जब शिंदे सूरत में थे और बाद में गुवाहाटी में थे, तो तत्कालीन महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार के करीब 15 मंत्रियों समेत एनसीपी के सभी 51 विधायकों ने एक पत्र पर हस्ताक्षर कर शरद पवार से एकनाथ शिंदे और बीजेपी से हाथ मिलाने का अनुरोध किया था.’’ पटेल ने कहा, ‘‘हमें उस समय लगा था कि (बीजेपी नेता और वर्तमान उपमुख्यमंत्री) देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री होंगे. आश्चर्य की बात है कि कोई भी 2022 की घटना के बारे में बात नहीं करता है.’’
पटेल ने किया ये दावा
पत्र पर शरद पवार के रुख से संबंधित एक सवाल पर पटेल ने कहा, ‘‘अगर सवाल यह है कि क्या हमें बीजेपी से बात करने की अनुमति दी गई थी, तो इसका जवाब हां है. तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने शरद पवार को फोन किया. उन्होंने (पाटिल) कहा कि हम अमित शाह से मिलने जा रहे हैं.’’ पटेल ने दावा किया कि शरद पवार ने पाटिल को मीडिया से बचने के प्रति आगाह किया और सुझाव दिया कि वह (पाटिल) केंद्रीय गृह मंत्री से सावधानी से मिलें. पटेल ने दावा किया, ‘‘दो-तीन दिन बीत गए और शिंदे ने (बीजेपी के समर्थन से पिछले साल जून के अंत में) मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.’’ शिंदे के नेतृत्व में विधायकों की बगावत के बाद पिछले साल जून में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली अविभाजित शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की एमवीए सरकार गिर गई थी.
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