मुंबई में निर्माण कार्य से जगह-जगह गड्ढे, छलका प्रिया दत्त का दर्द, 'बांद्रा को अपने सामने...'
Maharashtra News: मुंबई में निर्माण कार्य के कारण वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है जिस वजह से लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है जबकि गड्ढों से ट्रैफिक जाम की स्थिति है.
Mumbai News: मुंबई में लगातार चल रहे निर्माण कार्य और सड़कों के सीमेंटीकरण और जगह जगह खोदे गए गड्ढों के कारण पूरी मुंबई में प्रदूषण और ट्रैफिक का स्तर अपने चरम पर है. एक जगह से दूसरी जगह पहुंचने में पहले 5 से 10 मिनट लगता था वहीं अब उतनी हो दूरी तय करने में आधे घंटे से ज्यादा का समय लग जाता है. उसपर भी सड़कों से उठती धूल और प्रदूषण से कई बीमारिया भी बढ़ रही हैं.
ऐसे ही एक ट्रैफिक जाम में जब कल देर शाम पूर्व सांसद और कांग्रेस की नेता प्रिया दत्त फंसी तो उनका दर्द सोशल मीडिया पर छलका. प्रिया दत्त जो संजय दत्त की बहन है उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि अब मुंबई राम भरोसे चल रही है. मुंबई में सड़कों और फुटपाथों के बुरे हाल हैं. ट्रैफिक म और जगह जगह कंस्ट्रक्शन के लिए की गई खुदाई पर प्रिया दत्त ने नाराजगी जताई है. प्रिया के पोस्ट पर कई मुंबईकरों ने सहमति जताई है.
These concerns can no longer be ignored. It’s time to act and ensure Bandra remains a beautiful, safe place for all. pic.twitter.com/yOFl6Jfsxv
— Priya Dutt (@PriyaDutt_INC) January 5, 2025
बांद्रा को अपने सामने टूटता देख रही हूं- प्रिया दत्त
प्रिया दत्त ने अपनी पोस्ट में लिखा, '' मैं बांद्रा में पली बढ़ी हूं. मैं अपने प्रिय बांद्रा को अपने सामने टूटता हुआ देख रही हूं. मैं अपनी कार में बैठे बैठे लिख रही हूं. यहां मैं लगभग 40 मिनट तक ट्रैफिक में फंसी रही. पाली हिल से वाटरफील्ड रोड तक महज 2 किमी की दूरी तय करने की कोशिश कर रही थी. यह दूरी आम तौर पर 5 से 7 मिनट में पूरी हो जाती है लेकिन अब मुंबई में एक सामान्य दिन जैसा कुछ भी नहीं है.''
पैदल चलने वालों के लिए दुखी हूं- प्रिया दत्त
पूर्व सांसद प्रिया दत्त ने लिखा, ''मैं जो कुछ देख रही हूं तो जाम में फंसी कारें है,सड़क के दोनों तरफ वाहन खड़े हैं और बाइक सवार जो भी रास्ता मिलता है उसमें से निकल जाते हैं. मुझे पैदल चलने वालों के लिए सबसे ज्यादा दुख है जो कारों की भीड़, गड्ढे, टूटे हुए फुटपाथों और अंतहीन मेगा इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के बेरिकेट्स पर लिखे "वर्क इन प्रोग्रेस" के साथ चलने में लिए संघर्ष कर रहे हैं. ईमानदारी से कहूं तो उन्हें इन संकेतों को "कभी न खत्म होने वाले वर्क इन प्रोग्रेस" के साथ बदल देना चाहिए. इन चिंताओं को अब और नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.''
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