Maharashtra Bypoll: महाराष्ट्र में राजनीतिक उलटफेर जारी है. खासकर बीजेपी और शिवसेना (शिंदे गुट) के मिलने के बाद बनी एनडीए की सरकार का संख्या बल कम हो गया. कसबा पेठ पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज कर ली है. उसके विधायकों की संख्या में इजाफा हुआ है. वहीं बीजेपी की संख्या घट गई है क्योंकि ये सीट बीजेपी के खाते में ही थी. चिंचवाड़ में बीजेपी ने जीत दर्ज की है और ये सीट पहले भी उसी के पास थी.


दोनों सीटों पर बीजेपी के विधायकों का निधन हो गया था. ऐसे में यहां पर उपचुनाव हुए. कसबा पेठ में कांग्रेस के रवींद्र धंगेकर तो चिंचवाड़ में बीजेपी की अश्विनी जगताप ने जीत हासिल की है. हालांकि, अभी कोई ऐसी स्थिति नहीं है जिससे यह कहा जाए कि राज्य की शिंदे-बीजेपी पर संकट बादल मंडरा रहे हैं लेकिन सियासी जानकार चुनाव नतीजों में कई संकेत तलाश रहे हैं.


किसके पास कितने विधायक?


खासकर जब अगले साल लोकसभा चुनाव के साथ महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव भी होने हैं. सियासी जानकारों की मानें तो वर्तमान स्थिति बीजेपी के लिए कतई उत्साहजनक नहीं है. मौजूदा विधानसभा की स्थिति है उसमें बीजेपी के 104 विधायक है और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस राज्य के उपमुख्यमंत्री हैं. शिवसेना में दो फाड़ के बाद 40 विधायकों के समर्थन वाले एकनाथ शिंदे राज्य के मुख्यमंत्री हैं. प्रहार जनशक्ति पार्टी (पीजेपी ) के 2 विधायक, राष्ट्रीय समाज पक्ष (आरएसपी) का एक, जनतिपथिया संरक्षण समिति (जेएसएस) एक, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना एक और 12 निर्दलीय विधायकों के साथ सरकार के पास 161 सीटें हैं. विधानसभा की कुल 288 सीटों में बहुमत के लिए 145 सीटें चाहिए. फिलहाल ये आंकड़ा कागजों में ठीक दिख रहा है. 


विपक्ष के पास आंकड़ा 122 का


दूसरी तरफ अगर बात करती जाए तो तो राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी 53 सीट के साथ विपक्ष में सबसे आगे है. इसके साथ ही उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT) के पास 17 विधायक बचे हैं. विपक्ष के पास 122 सीटें हैं. कांग्रेस के विधायकों की संख्या बढ़कर 46 हो गई है, क्योंकि कसबा पेठ में जीत मिली है. इसके अलावा समाजवादी पार्टी के दो, भारतीय मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के एक, स्वाभिमानी पार्टी एसडब्ल्यूपी एक और पीजेंट्स एंड वर्कर्स पार्टी ऑफ इंडिया के एक विधायक हैं और एक निर्दलीय उम्मीदवार विपक्ष में है. 


इनके अलावा बहुजन विकास अगादी (बीवीए) के 3 और ओबैसी की पार्टी एआईएमआईएम के दो यानी कुल 5 विधायक ऐसे हैं जो तटस्थ हैं. यहां उल्लेखनीय ये है कि निर्दलीय या एक विधायकों वाले दल पर दलबदल कानून लागू नहीं होता और यदि तटस्थ विधायक विपक्ष के साथ मिल जाएं तो सत्ता का समीकरण बदल भी सकता है.  


ये भी पढ़ें :- Kasba By-election Result: उद्धव गुट के शिवसैनिक समर्थक भी बुलडोजर के 'फैन', कसबा पेठ में मिली जीत का ऐसे मनाया जश्न