Pune News: पुणे के एक छोटे से गांव की रेणुका डेंगल जब कुछ साल पहले एक खेत में काम कर रही थीं, तब एक जहरीले सांप ने उन्हें काट लिया था. उस वक्त डेंगल पांच माह की गर्भवती थीं. 24 वर्षीय महिला के परिजन उसे एक स्थानीय ओझा के पास ले गए और इसके बाद आसपास के कुछ सरकारी अस्पतालों में ले गए, लेकिन उसे उचित इलाज नहीं मिला. डेंगल की हालत बिगड़ने पर उसे पुणे के नारायणगांव कस्बे के ‘विघ्नहर नर्सिंग क्लिनिक’ ले जाया गया.


अस्पताल एक डॉक्टर दंपति चलाता है, जो अब तक 5,500 से अधिक सर्पदंश पीड़ितों को बचाने का दावा करते हैं. महिला को अस्पताल लाए जाने तक काफी समय बर्बाद हो चुका था. डॉ सदानंद राउत और उनकी पत्नी इस दिशा में काम कर रहे हैं कि किसी की भी ‘सर्पदंश से मौत’ नहीं हो. राउत ने कहा कि महिला के पूरे शरीर में सूजन आ गई थी और उसकी हालत खराब थी. उन्होंने कहा, ‘‘हमने तुरंत उसे दवा दी और इलाज शुरू किया. महिला पर दवा ने काम किया और वह चमत्कारिक रूप से ठीक हो गई. कुछ महीने बाद, उसने एक स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया.’’


डॉ राउत का है ये उद्देश्य


सर्पदंश को ग्रामीण इलाकों का प्रमुख खतरा बताते हुए डॉ राउत ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसे ‘2018 में सबसे उपेक्षित उष्णकटिबंधीय बीमारी’ के रूप में वर्णित किया है और उनका उद्देश्य 2030 तक सर्पदंश से होने वाली मौत के आंकड़े को 50 प्रतिशत तक कम करना है. डॉ राउत ने कहा, ‘‘भारत में हर साल 58,000 लोगों की सर्पदंश से मौत होती है....’’


चिकित्सक ने कहा कि वह नारायणगांव में हृदय रोग और मधुमेह का अस्पताल खोलने आए थे, लेकिन सर्पदंश से एक लड़की की मौत के बाद वह परेशान गए. उन्होंने कहा, ‘‘मैंने और मेरी पत्नी ने सर्पदंश के मुद्दे पर काम करने का फैसला किया....’’ चूंकि मेडिकल की पढ़ाई के दौरान इस विषय को लंबे समय तक नहीं पढ़ाया गया था, इसलिए उन्होंने इसपर शोध करना शुरू किया और प्रसिद्ध उष्णकटिबंधीय चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ डेविड वॉरेल जैसे विशेषज्ञों की मदद ली और पुणे में जुन्नार तहसील के ग्रामीण इलाकों के लोगों का इलाज करना शुरू किया.


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दर्पदंश को लेकर है ये मिथक


प्रारंभिक चुनौती लोगों को ओझा और झाड़-फूंक या आस्था के आधार पर उपचार करने वालों के पास जाने से रोकना था क्योंकि सर्पदंश को लेकर बहुत सारे मिथक और गलतफहमियां हैं. उन्होंने कहा, ‘‘हमने अस्पताल को वेंटिलेटर, एंटी-स्नेक वेनम डोज और मरीजों के इलाज के लिए प्रशिक्षित स्टाफ जैसी सुविधाओं से लैस किया. हमने ग्रामीण इलाकों में सर्पदंश के इलाज में इस्तेमाल होने वाले मिथकों को खत्म करने और अंधविश्वासी तरीकों को हतोत्साहित करने पर जोर दिया.’’ डॉ राउत ने कहा, ‘‘आज, इस क्षेत्र में कोई भी ओझा या झाड़-फूंक करने वालों के पास नहीं जाता है. जब भी किसी व्यक्ति को सर्पदंश होता है, तो उसे या तो जिला अस्पताल ले जाया जाता है या हमारे अस्पताल लाया जाता है.’’


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