Pune Porsche Accident Case: पुणे की एक अदालत ने पोर्श दुर्घटना मामले में छह आरोपियों की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है. अदालत ने कहा कि नाबालिग चालक के माता-पिता ने अपने बेटे को बचाने के लिए ससून अस्पताल के डॉक्टरों को रिश्वत दी और सबूतों के साथ छेड़छाड़ की. यह घटना तब घटी जब सड़क पर पीड़ितों का खून अभी सूखा भी नहीं था.


कोर्ट ने क्या कहा?
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश यूएम मुधोलकर की अदालत ने नाबालिग चालक के माता-पिता की जमानत याचिका खारिज कर दी है. आरोपियों के वकीलों ने कहा कि वे इस फैसले के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट का रुख करेंगे.


11 अगस्त को, विशेष लोक अभियोजक शिशिर हिरय ने जमानत याचिकाओं का विरोध करते हुए अंतिम दलीलें पेश कीं. हिरय ने कहा कि "आरोपियों ने साजिश रचकर और सबूतों से छेड़छाड़ करके न्याय व्यवस्था का दुरुपयोग किया है."


इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, अदालत ने अपने आदेश में कहा कि "मामले में दस्तावेजी और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य के अलावा, सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज किए गए कई गवाहों के बयान भी हैं. यह माना जा सकता है कि दस्तावेजी और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की संभावना कम है, लेकिन गवाहों के बयानों के साथ छेड़छाड़ की संभावना को नकारा नहीं जा सकता. यदि आरोपियों ने रक्त के नमूने बदलने के लिए अपनाई गई पद्धति का उपयोग करके गवाहों को प्रभावित किया, तो यह मामला अपने कानूनी निष्कर्ष तक नहीं पहुंच पाएगा."


अदालत ने यह भी कहा कि "चार्जशीट का अवलोकन करने पर यह स्पष्ट होता है कि पीड़ितों के खून के छींटे सूखने से पहले ही आधी रात को सबूतों के साथ छेड़छाड़ शुरू हो गई थी. जमानत देने से गवाहों के साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ हो सकती है और न्याय की प्रक्रिया विफल हो सकती है. इससे पीड़ितों, उनके परिवार और समाज को न्याय से वंचित किया जा सकता है. ऐसे गंभीर मामले में जमानत देने से समाज में गलत संदेश जाएगा."


26 जुलाई को, पुणे पुलिस ने मामले में सात लोगों के खिलाफ प्रारंभिक आरोपपत्र दाखिल किया, जिसमें नाबालिग के माता-पिता, ससून अस्पताल के डॉक्टर और अन्य शामिल थे. उन पर आरोप है कि उन्होंने सबूतों से छेड़छाड़ करने और जांच को बाधित करने के लिए साजिश रची.


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