Maharashtra News: लातूर के एक गांव में 103 किसानों की जमीन पर वक्फ बोर्ड ने अपना दावा कर दिया है. इस पर राजनीति तेज हो गई है जबकि मनसे चीफ राज ठाकरे ने लंबा-चौड़ा पोस्ट लिखकर ना केवल इस मुद्दे पर ध्यान आकृष्ट किया है बल्कि पीएमन नरेंद्र मोदी से मांग की है कि वह जल्द से जल्द वक्फ संशोधन विधेयक पारित कराएं. इस विधेयक का विरोध करने वाली पार्टियों को भी उन्होंने जमकर सुनाया है.


राज ठाकरे ने ट्वीट किया, '' लातूर जिले के अहमदपुर तालुका के तालेगांव गांव से खबर चौंकाने वाली है. गांव की कुल कृषि भूमि में से लगभग 75% कृषि भूमि पर वक्फ बोर्ड ने दावा कर दिया है... जिससे 103 किसानों की आजीविका खतरे में पड़ गई है. भले ही राज्य सरकार ने कहा हो कि हम किसी भी किसान के साथ अन्याय नहीं होने देंगे, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है. सवाल इस जमीन का नहीं है, वक्फ बोर्ड के उस आतंक पर कैसे लगाम लगाएगा जो मनमाने प्रबंधन से कई वर्षों से लोगों पर ढाया जा रहा है?"






वक्फ बिल का जिक्र कर बोले राज ठाकरे, ''कुछ महीने पहले, केंद्र सरकार ने संसद में वक्फ अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव वाला एक विधेयक पेश किया और मुस्लिम-बहुल विपक्षी दलों ने संसद में भ्रम पैदा कर दिया और इसलिए विधेयक को पुनर्विचार के लिए संसदीय समिति के पास भेजा गया. कहने की जरूरत नहीं है कि महाविकास अघाड़ी में शामिल दलों का रुख इस संशोधित विधेयक के विरोध में था.'' इसके बाद राज ठाकरे ने वक्फ संशोधन विधेयक की  बारीकियां भी पोस्ट में साझा कीं और साथ ही कहा कि इसके प्रावधानों में कुछ भी गलत नहीं है.


 विपक्ष के आगे ना झुके केंद्र सरकार - राज ठाकरे


राज ठाकरे ने कहा कि पीएम मोदी के दूसरे कार्यकाल में धारा 370 हटाने, तीन तलाक पर रोक लगाने और राम मंदिर बनाने के कदम उठाए गए जिस पर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना को गर्व था और इसीलिए हमने 2024 के लोकसभा चुनाव में मोदी का समर्थन किया. मैं केंद्र सरकार से अनुरोध करता हूं कि विपक्ष के किसी भी विरोध के आगे झुके बिना इस विधेयक को संसद के इसी सत्र में पारित किया जाए.


महायुति से की यह मांग


मनसे चीफ ने महायुति सरकार से मांग की कि ''राज्य सरकार को यह भी देखना चाहिए कि अहमदपुर तालुका के तालेगांव में किसानों के साथ कोई अन्याय नहीं होगा, उनकी जमीनें वक्फ के गले नहीं जाएंगी. इस अवसर पर, मैं आज देश के सभी वक्फ बोर्डों को एक बात से अवगत कराना चाहता हूं कि आजादी के बाद विनोबा भावे ने 'भूदान आंदोलन' शुरू किया था जिसमें देश के हिंदुओं द्वारा लाखों एकड़ जमीन सरकार को वापस की गई थी ताकि भूमिहीनों को खेती के लिए जमीन मिल सके.''


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