Raj Thackeray News: मुंबई में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की है. इस बैठक की अहमियत इसलिए बढ़ जाती है क्योंकि राज ठाकरे ने पार्टी कार्यकर्ताओं से खुद को न सिर्फ चुनाव की तैयारियों में झोंक देने को कहा है बल्कि पार्टी के अपने दम पर चुनाव लड़ने का फैसला लिया है.
महाराष्ट्र में विधानसभा की 288 सीटें हैं. राज ठाकरे की पार्टी एमएनएस ने 250 सीटों पर लड़ने की तैयारी शुरू की है. राज ठाकरे की पार्टी अपने दम पर चुनाव लड़कर कोई बहुत बड़ा करिश्मा अब तक नहीं कर पाई है लेकिन जीत हार के गणित को प्रभावित करने की ताकत रखती है. कट्टर हिंदुत्व और आक्रामक छवि राज की पहचान है . मराठी वोट बैंक पर राज ठाकरे की पकड़ मानी जाती है.
एनडीए में नहीं बनी बात?
अभी लोकसभा चुनाव में राज ठाकरे ने दिल्ली आकर बीजेपी के बड़े नेताओं से मुलाकात की थी. लोकसभा चुनाव में राज ठाकरे ने एनडीए को समर्थन भी दिया था और तब ये बात सामने आई थी कि विधानसभा चुनाव में राज ठाकरे का गठबंधन एनडीए से हो सकता है. लोकसभा चुनाव में एनडीए को उतनी सफलता नहीं मिली लिहाजा राज ठाकरे ने विधानसभा चुनाव में रास्ता अलग करने का मन बना लिया है.
अब राज ठाकरे के अलग चुनाव लड़ने से होगा ये कि महाराष्ट्र की सियासत में मराठी वोट बैंक पर तीन पार्टियां उद्धव ठाकरे की शिवसेना यूबीटी, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और राज ठाकरे की एमएनएस अपना दावा करेंगी. पब्लिक का सपोर्ट किसे मिलेगा ये तो चुनाव में मालूम चलेगा.
त्रिकोणीय बनाने की कोशिश?
फिलहाल राज ठाकरे के अलग लड़ने के फैसले ने सूबे की चुनावी सियासत को त्रिकोणीय बनाने का काम शुरू कर दिया है. महाराष्ट्र में एक तरफ महाविकास अघाड़ी है जिसमें उद्धव, शरद पवार और कांग्रेस हैं तो दूसरी तरफ महायुती है जिसमें शिंदे, बीजेपी और अजित पवार हैं.
राज ठाकरे ने शिवसेना से बगावत कर साल 2006 में अपनी पार्टी महाराष्ट्र नव निर्माण सेना बनाई थी. मराठी मानुष के मुद्दे पर अपनी छवि आक्रामक नेता की बनाई. हिंसा, बवाल और उत्तर भारतीयों के खिलाफ राजनीति करके सर्खिया जरूर बटोरी लेकिन चुनावी राजनीति में कोई खास कमाल नहीं कर पाए.
अब तक एक भी सांसद राज ठाकरे की पार्टी से बना नहीं है. साल 2009 में राज ठाकरे की पार्टी ने सबसे उम्दा प्रदर्शन किया था तब महाराष्ट्र में इसके 12 विधायक जीते थे. 2012 में नगर निगम के चुनाव में जरूर कुछ सफलता मिली थी, लेकिन इसके बाद से सियासत के नेपथ्य में चले गये. छवि वोटकटवा पार्टी की बन गई.
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