Maratha Reservation: सर्वदलीय बैठक के बाद रामदास अठावले का रिएक्शन, कहा- मनोज जरांगे को लगता है कि अभी नहीं तो...
Maratha Reservation Protest: मराठा आरक्षण आंदोलन के हिंसक रूप धारण करने के बाद कई जगहों पर प्रदर्शन देखे गए. इस पर रामदास अठावले ने कहा कि हम सब मनोज जरांगे के साथ हैं, उन्हें कुछ समय देना होगा.
Ramdas Athawale on Maratha Reservation: मराठा आरक्षण पर महाराष्ट्र सरकार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने कहा, "बैठक में सभी पार्टियों ने अपनी बात रखी और सभी मराठा आरक्षण के समर्थन में थे. महाराष्ट्र सरकार को कोई रास्ता निकालना चाहिए. जरांगे पाटिल को लगता है कि अभी नहीं तो कभी नहीं लेकिन ऐसा नहीं है, हम सब हम उनके साथ हैं. उन्हें सरकार को कुछ समय देना चाहिए.'
रामदास अठावले ने कहा कि मैं मीटिंग में नहीं था, सर्वदलीय बैठक थी औऱ हर पार्टी से एक-एक आदमी को बुलाया गया था. केंद्रीय मंत्री होने के नाते मुझे तो नहीं बुलाया गया. लेकिन जिस तरह आज मीटिंग हुई है और सभी पार्टियों ने अपनी-अपनी भूमिका रखी है. सभी का मत है कि मराठाओं को आरक्षण मिलना ही चाहिए. हालांकि, आरक्षण के लिए आगे क्या कदम उठाना चाहिए, कोर्ट में फैसला पेंडिंग है.
#WATCH मराठा आरक्षण पर महाराष्ट्र सरकार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक पर केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने कहा, "बैठक में सभी पार्टियों ने अपनी बात रखी और सभी मराठा आरक्षण के समर्थन में थे...महाराष्ट्र सरकार को कोई रास्ता निकालना चाहिए...जरांगे पाटिल को लगता है कि अभी नहीं तो कभी… pic.twitter.com/HR8R1E7SK5
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 1, 2023
तमिलनाडु-राजस्थान में रिजर्वेशन की स्डटी करेगी महाराष्ट्र सरकार
केंद्रीय मंत्री अठावले ने कहा कि यह मांग हमने सबसे पहले की थी कि मराठा समाज को आरक्षण मिलना ही चाहिए. तमिलनाडु में 69 प्रतिशत आरक्षण है. ओबीसी की 2 कैटेगरी हैं, एक 30 परसेंट वाली और एक 20 परसेंट वाली. शेड्यूल कास्ट के लिए 18 परसेंट आरक्षण है और एक प्रतिशत ट्राइबल के लिए है. ऐसे में तमिलनाडु में 69 परसेंट रिजर्वेशन दिया गया है. राजस्थान में भी 62 फीसदी आरक्षण है. उसी तरह महाराष्ट्र सरकार ने इन दो राज्यों की स्टडी कर के कोई न कोई तरीका निकालना चाहिए.
मनोज जरांगे पर रामदास अठावले का बयान
मराठा आरक्षण को लीड करने वाले मनोज जरांगे पाटिल की मराठा आरक्षण में बहुत बड़ी भूमिका है. उन्हें ऐसा लगता है कि अभी नहीं तो कभी नहीं, लेकिन ऐसा नहीं है. आरपीआई उनके और मराठा समाज के साथ है, लेकिन उन्हें सरकार को थोड़ा सा टाइम देना चाहिए. मराठा समाज को उनके नेतृत्व की आवश्यकता है, इसलिए उन्हें थोड़ा गंभीरता से सोचना चाहिए.
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