Maharashtra News: दिल्ली यूनिवर्सिटी ने अपने राजनीति विज्ञान के सिलेबस से 'सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा' लिखने वाले और पाकिस्तान के राष्ट्रीय कवि मोहम्मद इकबाल के अध्याय को हटा दिया है. वहीं हिंदुत्व विचारक वीडी सावरकर के अध्याय को जोड़ दिया है.
दामोदर सावरकर के पोते रंजीत सावरकर ने जताई खुशी
विनायक दामोदर सावरकर के पौत्र रंजीत सावरकर मोहम्मद इकबाल पर अध्याय हटाने और राजनीति विज्ञान के पाठ्यक्रम में भारतीय क्रांतिकारी वीर सावरकर पर अध्याय जोड़ने पर इसे बहुत अच्छा कदम बताते हुए इस पर खुशी जाहिर की है.
'देश ने भविष्य को लेकर उनकी चेतावनियों को भुला दिया'
उन्होंने कहा कि यह बहुत ही अच्छी खबर है क्योंकि वीर सावरकर केवल क्रांतिकारी, देशभक्त, समाजिक मुखबिर, प्रवक्ता या एक लेखक ही नहीं थे बल्कि वह एक राजनीतिक विचारक भी थे. उन्होंने कहा कि वह भूतकाल को समझते हुए वर्तमान का आकलन करते थे और भविष्य को लेकर चेतावनी देते थे, दुर्भायवश हमारे देश ने भविष्य को लेकर दी गईं उनकी चेतावनियों जैसे बंटवारे की संभावना और कई अन्य चीजें को भुला दिया.
'यह...छात्रों के लिए एक बेहतरीन अवसर'
उन्होंने का कि यह राजनीति का आकलन करने और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को जानने के इच्छुक छात्रों के लिए एक बेहतरीन अवसर है, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय संबंधों को लेकर सावरकर विशेष योजना रखते थे, उन्होंने कहा कि सावरकर मानते थे कि अंतरराष्ट्रीय संबंध आपसी जरूरतों को ध्यान में रखकर होने चाहिए, अंतरराष्ट्रीय संबंधों की और कोई फिलोसॉफी नहीं होनी चाहिए, लेकिन दुर्भाग्य से उनकी इस बात को भी भुला दिया गया लेकिन हम यह कह सकते हैं कि भारत पिछले 10 सालों वीर सावरकर के विजन पर अंतरराष्ट्रीय संबंधों को महत्व दे रहा है. रनजीत सावरकर ने कहा कि मैं दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्रों को बधाई देता हूं कि वे अब सीधे इस राजनीतिक विचारक और विश्लेषक के बारे में अध्ययन कर सकेंगे.
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