Sachin Joshi Money Laundring Case: एक विशेष अदालत ने कहा कि शहर की कंपनी ओंकार रियेल्टर्स एंड डेवलपर्स से संबंधित धन शोधन के मामले में अभिनेता-निर्माता सचिन जोशी की किसी तरह की “प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष” भूमिका नहीं पायी गई है. विशेष पीएमएलए न्यायाधीश एमजी देशपांडे ने सोमवार को जोशी को जमानत दे दी थी, जिन्हें पिछले साल 14 फरवरी को इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार किया था. 


इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने चिकित्सा आधार पर 37 वर्षीय अभिनेता-निर्माता को अंतरिम जमानत दे दी थी और वह फिलहाल जमानत पर हैं. विस्तृत आदेश मंगलवार को सामने आया. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि ऐसा लगता है कि आरोपी के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का कोई मामला नहीं बनता है.


ईडी ने दावा किया है कि ओंकार रियल्टर्स एंड डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड (ओआरडीपीएल) की सहयोगी कंपनी सुराणा डेवलपर्स वडाला ने फर्जी तरीके से झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों और एफएसआई (फ्लोर स्पेस इंडेक्स) की संख्या बढ़ाकर एक पुनर्विकास परियोजना के लिए 410 करोड़ रुपये का कर्ज लिया है.


एजेंसी ने आरोप लगाया कि 410 करोड़ रुपये में से 330 करोड़ रुपये की रकम ओंकार समूह की बिकी हुई इमारत में शोधित की गई और सचिन जोशी और उनकी वीकिंग ग्रुप ऑफ कंपनीज के जरिये सेवाओं व निवेश के बहाने करीब 80 करोड़ रुपये शोधित किए गए. अदालत ने हालांकि जोशी के वकील आबाद पोंडा द्वारा पेश किए गए दस्तावेजों और दलीलों के अवलोकन के बाद कहा कि प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि आवेदक अपराध की आय से लाभ लेने में "प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से" शामिल नहीं था जैसा कि पीएमएलए के संबंधिक प्रावधान में परिभाषित किया गया है.


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