Thane News: बॉम्बे हाई कोर्ट ने बुधवार को ठाणे क्रीक ब्रिज परियोजना से प्रभावित होने वाले मछुआरों के लिए 10 करोड़ रुपये के अंतरिम मुआवजा भुगतान का निर्देश दिया. इस परियोजना के कारण मछुआरों की आजीविका प्रभावित हुई है.
न्यायमूर्ति एस जे काथावाला और न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव की खंडपीठ ने पिछले महीने महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम (एमएसआरडीसी) को 10 करोड़ रुपये अदालत में जमा कराने का निर्देश दिया था. एमएसआरडीसी ने अदालत को सूचित किया था कि अगस्त 2021 में निर्देश पारित होने के बावजूद प्रभावित लोगों के लिए मुआवजा तय करने के वास्ते समिति गठित करने के संबंध में कोई प्रगति नहीं हुई, जिसके बाद अदालत ने उक्त राशि जमा करने का निर्देश दिया था.
पीठ ने बुधवार को हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार को निर्देश दिया कि एमएसआरडीसी द्वारा जमा कराए गए 10 करोड़ रुपये की राशि दो सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ता 'मरियायी मच्छीमार सहकारी संस्था मर्यादित' को दी जाए. ये संस्था मछुआरों की एक सहकारी समिति है. याचिकाकर्ता संस्था परियोजना से प्रभावित होने वाले प्रत्येक मछुआरा परिवार को एक लाख रुपये की राशि देगी.
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि वह यह उम्मीद नहीं करते कि ये प्रभावित परिवार मुआवजा या आजीविका कमाने के साधन के और अधिक इंतजार कर सकते हैं. हाई कोर्ट ने कहा कि यह केवल अंतरिम मुआवजा राशि है और एमएसआरडीसी को प्रभावित मछुआरा परिवारों को दी जाने वाली अंतिम मुआवजा राशि के बारे में तीन महीने के भीतर फैसला करना चाहिए.
अगस्त 2021 में हाई कोर्ट की इसी पीठ ने मछुआरों की सहकारी समिति द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश पारित किया था, जिसमें ठाणे क्रीक ब्रिज परियोजना और उसके आसपास रहने वाले मछुआरा समुदाय के सदस्यों के कल्याण संबंधी चिंताओं को उठाया गया था.
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