Maharashtra: शरद पवार के पोते रोहित पवार का खुलासा- 'बीजेपी की मंशा का अंदाजा था लेकिन अजित पवार के...'
Maharashtra NCP Crisis: अजित पवार की बगावत के बाद एक-एक कर एनसीपी नेताओं के बयान सामने आ रहे हैं. अब शरद पवार के बड़े भाई के पोते रोहित पवार ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है.
Maharashtra News: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar) के पोते और विधायक रोहित पवार (Rohit Pawar) ने सोमवार को दावा किया कि वरिष्ठ नेताओं को पार्टी को तोड़ने की बीजेपी की ‘मंशा’ का अंदाजा था, लेकिन उन्हें अजित पवार (Ajit Pawar) के इस तरह सत्तारूढ़ गठबंधन से हाथ मिलाने के कदम की कोई जानकारी नहीं थी.
महाराष्ट्र के पुणे में पत्रकारों से बातचीत में रोहित ने कहा कि वह पूरी तरह से एनसीपी प्रमुख शरद पवार के साथ हैं. घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए शरद पवार के बड़े भाई अप्पासाहेब पवार के पोते रोहित पवार ने कहा, 'हमें अजित पवार के बीजेपी से हाथ मिलने की कोई भनक तक नहीं थी, लेकिन इस बात का अंदाजा जरूर था कि बीजेपी, एनसीपी को तोड़ने पर उतारू है.'
क्या मेरे जैसे लोगों ने कर दी गलती- रोहित
रोहित ने कहा, 'हालांकि, इन सब चीजों को देखते हुए, मैं सोचता हूं कि क्या मेरे जैसे लोगों ने राजनीति में कदम रखकर गलती कर दी.' अजित पवार के कदम के बारे में पूछे जाने पर रोहित ने कहा कि वह उनके प्रति भावनात्मक लगाव रखते हैं, क्योंकि वह उनके चाचा हैं. उन्होंने कहा, ' अजित पवार ने व्यक्तिगत स्तर पर भी मेरी मदद की है. हालांकि, राजनीतिक रूप से हम पार्टी प्रमुख शरद पवार के साथ हैं.' रोहित ने यह भी कहा कि शक्ति परीक्षण की बारी आएगी तो शरद पवार को जनता के नेता के रूप में ज्यादा स्वीकार्यता हासिल होगी.
अजित पवार सहित नौ एनसीपी नेताओं के शिंदे नीत सरकार में शामिल होने के घटनाक्रम और भविष्य की रणनीति पर चर्चा के लिए शरद पवार ने पांच जुलाई को मुंबई में एक बैठक बुलाई है.रोहित पवार ने कहा, 'राज्य का संघर्ष और दृढ़ता से उसका सामना करने का इतिहास रहा है. हम ऐसा करना जारी रखेंगे.'
ऐसा कांग्रेस में भी हो सकता है- रोहित
उन्होंने दावा किया, 'जो लोग ‘पन्नस खोके, एकदम ओके’ के ताने के साथ सत्तारूढ़ गठबंधन पर हमला बोलते थे, वे अब राज्य सरकार में शामिल हो गए हैं. शिवसेना और एनसीपी के साथ जो हुआ वह कांग्रेस में भी हो सकता है.' शिंदे और अविभाजित शिवसेना के 39 अन्य विधायकों ने पिछले साल जून में उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत कर दी थी, जिससे राज्य में उनके नेतृत्व वाली महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार गिर गई थी.
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