विधानसभा चुनाव से पहले RSS की पत्रिका ने अजित पवार को लेकर उठाए सवाल, कहा- 'NCP के साथ...'
Maharashtra News: महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव में बीजेपी को नुकसान झेलना पड़ा. इस नुकसान को गिनाते हुए आरएसएस से जुड़ी मराठी पत्रिका ने एक लंबा-चौड़ा लेख प्रकाशित किया है.
Maharashtra Politics: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़ी पत्रिका ने फिर एक बार महाराष्ट्र में बीजेपी के अजित पवार (Ajit Pawar) के साथ गठबंधन करने पर आपत्ति जताई है. आरएसएस से जुड़ी मराठी पत्रिका विवेक (Vivek) में लिखा गया है कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी का प्रदर्शन खराब इसलिए रहा क्योंकि इसने अजित पवार के साथ गठबंधन किया है. पत्रिका के मुताबिक इस गठबंधन से बीजेपी कार्यकर्ता असहज महसूस कर रहे थे और बीजेपी की हार का कारण पूछे जाने पर वे सबसे पहले अजित पवार के साथ गठबंधन को जिम्मेदार ठहराते हैं.
कार्यकर्ता खचलेला नाही, तर संभ्रमात! (कार्यकर्ता खचलेला नाही, तर संभ्रमात!) शीर्षक में लिखा गया है कि एकनाथ शिंदे वाली शिवसेना के साथ हिंदुत्व के मुद्दे पर गठबंधन करना बीजेपी के लिए स्वाभाविक था लेकिन एनसीपी के साथ आने का विरोध हुआ. चंद हफ्ते पहले आरएसएस से जुड़ी एक और पत्रिका ऑर्गेनाइजर ने भी अजित पवार को साथ लिए जाने को बीजेपी की हार का कारण बताया था. ऑर्गेनाइजर के मुताबिक अजित पवार को साथ लिए जाने से बीजेपी की छवि को नुकसान पहुंचा.
शिवसेना के साथ को कार्यकर्ताओं ने स्वीकार लिया- विवेक
पत्रिका विवेक में लिखा गया है, ''आज लगभग हर कार्यकर्ता लोकसभा में हार के कारणों को बताने या अपनी नाराजगी और परेशानी जाहिर करने में सबसे पहले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन से ही बात शुरू करता है. साफ है कि बीजेपी कार्यकर्ता को एनसीपी को साथ लेना पसंद नहीं आया. ऐसा नहीं है कि बीजेपी नेताओं को इसकी जानकारी नहीं है. हाल ही में खुद देवेंद्र फडणवीस ने एक इंटरव्यू में इस पर टिप्पणी की थी. शिवसेना की गठबंधन में वापसी, शिवसेना में आंतरिक विद्रोह, एकनाथ शिंदे का शपथ ग्रहण को कार्यकर्ताओं ने स्वीकार कर लिया.''
'लोकसभा चुनाव के नतीजे से कार्यकर्ता नाराज'
आगे लिखा गया है, ''हिंदुत्व को एक साझा कड़ी के रूप में और गठबंधन का दशकों पुराना इतिहास होने के कारण यह गठबंधन एक स्वाभाविक गठबंधन था. लेकिन, यही भावना एनसीपी के साथ आने के बाद दूसरे चरम पर जाने लगी और लोकसभा की तस्वीर ने इस नाराजगी को और बढ़ा दिया है.'' हालांकि, इसमें आगे यह भी लिखा गया है कि एनसीपी का शामिल होना कार्यकर्ताओं के बीच अशांति का मुख्य कारण लग रहा है लेकिन यह एकमात्र कारण नहीं है.
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