Mohan Bahgwat News: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने गुरुवार को कहा कि किसी भी समुदाय को अतिवाद का सहारा नहीं लेना चाहिए और सभी को एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए. उन्होंने कहा, ' सभी को एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए. दिल में कोई अतिवाद नहीं होना चाहिए, ना ही शब्दों में और ना ही कार्य में. दोनों तरफ से डराने-धमकाने की बात नहीं होनी चाहिए. हालांकि, हिंदू पक्ष की ओर से ऐसा कम है. हिंदुओं ने बहुत धैर्य रखा है. हिंदुओं ने एकता के लिए बहुत बड़ी क़ीमत भी चुकाई है.'
नागपुर में संगठन के एक प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन समारोह को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि हिंदुओं को यह समझना चाहिए कि मुसलमान उनके अपने पूर्वजों के वंशज हैं और 'खून के रिश्ते से उनके भाई हैं.' संघ प्रमुख ने कहा, ' अगर वे वापस आना चाहते हैं तो उनका खुली बाहों से स्वागत करेंगे. अगर वे वापस नहीं आना चाहते, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, पहले ही हमारे 33 करोड़ देवी-देवता हैं, कुछ और जुड़ जाएंगे.... हर कोई अपने धर्म का पालन कर रहा है.'
ज्ञानवापी पर भी बोले मोहन भागवत
इसके अलावा ज्ञानवापी मस्जिद के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि उसका इतिहास गै जिसे हम बदल नहीं सकते. इस्लाम आक्रमणकारियों के जरिए भारत में आया तो भारत की स्वतंत्रता चाहने वाले लोगों की मनोदशा कम करने के लिए हजारों देवस्थान तोड़े गए. यह आज के हिन्दू और मुस्लिमों ने नहीं बनाए. हमने 9 नवंबर को कह दिया था कि राम मंदिर के बाद हमें कोई आंदोलन नहीं करेंगे लेकिन मुद्दे मन में हैं तो उठते हैं. ऐसा कुछ है तो आपस में मिलकर-जुलकर मुद्दा सुलझाए.
वहीं, भागवत ने यह भी कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत ने 'संतुलित रुख' अपनाया है लेकिन इस युद्ध ने भारत जैसे राष्ट्र के लिए सुरक्षा और आर्थिक चुनौतियां बढ़ा दी हैं.. आरएसएस प्रमुख ने कहा, 'भारत ने हमले का समर्थन नहीं किया, न ही उसने रूस का विरोध किया. भारत युद्ध में यूक्रेन की मदद नहीं कर रहा है, लेकिन अन्य सभी तरीकों से सहायता कर रहा है और रूस से बार-बार बातचीत के माध्यम से मामले को सुलझाने के लिए कह रहा है.' (एजेंसी इनपुट के साथ)
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