Samyukt Kisan Morcha Conference: संयुक्त किसान मोर्चा का राज्य स्तरीय सम्मेलन आज मुंबई में होगा. इस सत्र में किसानों के मुद्दों पर चर्चा होगी. यह सम्मेलन मुंबई के यशवंतराव चव्हाण केंद्र में आयोजित किया जाएगा. इस स्थापना बैठक के अवसर पर कृषि पर निर्भर किसानों, खेतिहर मजदूरों, मजदूरों, कृषि में काम करने वाली महिलाओं, आदिवासियों, मछुआरों के तमाम मुद्दों पर व्यापक चर्चा होगी. इस सम्मेलन में एक मजबूत राज्यव्यापी कार्रवाई कार्यक्रम बताते हुए एक घोषणापत्र की घोषणा की जानी है. उसके आधार पर महाराष्ट्र में किसान आंदोलन को बड़ा बढ़ावा दिया जाएगा.  

महाराष्ट्र के 27 किसान संगठन एक साथ आएंगे
ABP माझा के अनुसार, यह सत्र संयुक्त किसान मोर्चा की महाराष्ट्र राज्य शाखा के स्थापना दिवस पर आयोजित किया जाएगा. सम्मेलन दोपहर 3 बजे शुरू होगा. इस दौरान इस सत्र में संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय नेता राजाराम सिंह सहित कई लोग उपस्थित रहेंगे. डॉ. दर्शनपाल, अतुल कुमार अंजान, डॉ. अशोक धावले, मेधा पाटकर, प्रतिभा शिंदे, डाॅ. सुनीलम और अन्य गणमान्य भी उपस्थित रहेंगे. इस बैठक में महाराष्ट्र के 27 किसान संगठन एक साथ आ रहे हैं.

सम्मेलन की पृष्ठभूमि 
बीजेपी की केंद्र सरकार ने कृषि का कॉरपोरेटीकरण करने के उद्देश्य से तीन कृषि कानून पारित किये. इन कानूनों के खिलाफ देशभर में 500 से ज्यादा किसान संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया था. किसान करीब एक साल से दिल्ली की सीमा पर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. इसके बाद केंद्र सरकार ने यह कानून वापस ले लिया. इसी आंदोलन के दौरान 26 से 27 अक्टूबर 2020 को दिल्ली में संयुक्त किसान मोर्चा की स्थापना की गई.


मार्च में किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार के तीन किसान विरोधी और कॉर्पोरेट शैली के कानूनों का विरोध करने के लिए देशव्यापी संघर्ष का आह्वान किया गया. किसानों को फिर से कर्जदार बनने से रोकने के लिए स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुसार कृषि वस्तुओं के लिए उत्पादन लागत का डेढ़ गुना गारंटी देने का प्रस्ताव पारित किया जाए. संयुक्त किसान मोर्चा ने किसानों के हित की अन्य मांगों जैसे कृषि वस्तुओं की उत्पादन लागत में कमी, किसान विरोधी बिजली बिल को रद्द करने, श्रम पेंशन, व्यापक फसल बीमा योजना, किसान-कृषि आदि पर भी आर-पार की लड़ाई लड़ने का फैसला किया है.

सरकार ने अपने वादे पूरे नहीं किये
किसानों ने 26 नवंबर 2020 से 11 दिसंबर 2021 तक दिल्ली की सीमाओं पर कड़ा संघर्ष किया था. जिसके बाद आखिरकार केंद्र सरकार को किसान विरोधी तीन कानूनों को वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा. उस वक्त सरकार ने किसान आंदोलन में 700 से ज्यादा शहीदों के परिवारों को मदद, लखीमपुर खीरी नरसंहार के आरोपियों को सजा देने जैसे कई वादे किए थे. दरअसल, केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों को रद्द करने के अलावा अन्य वादे पूरे नहीं किए. परिणामस्वरूप संयुक्त किसान मोर्चा को अपना संघर्ष जारी रखना पड़ा. इस संघर्ष को मजबूत करने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा ने राज्य स्तर पर संयुक्त किसान मोर्चा की शाखाएं स्थापित करने का आह्वान किया.

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