Sandeep Shinde Committee: महाराष्ट्र सरकार में मंत्री छगन भुजबल की मराठा आरक्षण मुद्दे पर गठित न्यायमूर्ति (सेवानिवृत) संदीप शिंदे समिति को बर्खास्त करने की मांग के मद्देनजर उनके मंत्रिमंडल सहयोगी राधाकृष्ण विखे पाटिल ने बुधवार को कहा कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित पवार गुट) के नेता को इस तरह के बयान देने से पहले एक मंत्री के नाते इस्तीफा दे देना चाहिए. उन्होंने भुजबल को संयम बरतने की सलाह दी, क्योंकि उनके रुख से यह संदेश जाएगा कि मराठा आरक्षण मुद्दे पर राज्य सरकार में कोई एकजुटता नहीं है.


क्या है मामला?
भुजबल ने सोमवार को मराठाओं को कुनबी जाति प्रमाण पत्र जारी किए जाने पर रोक और समिति को बर्खास्त करने की मांग की थी. भुजबल ने कहा था कि समिति मराठवाड़ा क्षेत्र में दस्तावेजों की पहचान करने का अपना काम पूरा कर चुकी है. छगन भुजबल, उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के नेतृत्व वाली राकांपा के नेता और राज्य सरकार में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री हैं. कोल्हापुर में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए भाजपा नेता और राजस्व मंत्री विखे पाटिल ने कहा कि भुजबल एक वरिष्ठ नेता हैं और उन्हें संयम रखना चाहिए. विखे पाटिल ने कहा, ''मराठा आरक्षण के मुद्दे को लेकर मनोज जरांगे के आंदोलन पर राज्य सरकार पहले ही अपना रुख स्पष्ट कर चुकी है. राज्य सरकार स्पष्ट कर चुकी है कि किसी (अन्य समुदाय की) आरक्षण सीमा को प्रभावित किये बिना मराठा समुदाय को आरक्षण दिया जाएगा.''


क्या बोले पाटिल?
पाटिल ने कहा कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के नाम पर (भुजबल के नेतृत्व में) आंदोलन अनुचित है.उन्होंने कहा, ''अगर सरकार ने मराठाओं को ओबीसी श्रेणी के तहत आरक्षण देने का फैसला किया होता, तो मैं (उनके आंदोलन पर) उनके रुख को समझ सकता था. ओबीसी बनाम मराठा विवाद बेतुका है. भुजबल एक वरिष्ठ नेता हैं और उन्हें धैर्य रखना चाहिए. मौजूदा वक्त में लोग उनके बारे में सम्मानपूर्वक बात करते हैं, लेकिन (अगर ऐसे जारी रहा) तो उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग भी उठने लगेगी.'' शिंदे समिति को बर्खास्त करने की भुजबल की मांग के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि भुजबल को पहले मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना चाहिए और फिर इस तरीके का बयान देना चाहिए.


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