Maratha Reservation Protest: मराठा क्रांति मोर्चा के समन्वयक संजय लाखे पाटिल ने रविवार को मराठा कोटा मुद्दे पर राज्य विधानमंडल का विशेष सत्र बुलाने के लिए महाराष्ट्र सरकार की आलोचना की, जबकि सुप्रीम कोर्ट में एक उपचारात्मक याचिका लंबित है. शीर्ष अदालत ने 5 मई, 2021 को राज्य में नौकरियों और शिक्षा में समुदाय को कोटा देने वाले कानून को रद्द कर दिया था और पिछले साल एक उपचारात्मक याचिका दायर की गई थी.


विशेष सत्र बुलाने पर क्या बोले पाटिल?
लाखे पाटिल ने दावा किया कि महाराष्ट्र सरकार भ्रामक रणनीति अपना रही है. कोटा के लिए कानून बनाने का राज्य का प्रयास सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मराठा समुदाय के पात्र व्यक्तियों को कुनबी प्रमाण पत्र जारी करने के लिए 'ऋषि सोयारे' (रक्त रिश्तेदार) पर एकनाथ शिंदे सरकार की मसौदा अधिसूचना भ्रामक थी.


संजय लाखे पाटिल ने की ये मांग
उन्होंने कहा, हमारी मांग है कि मायके पक्ष से भी रक्त संबंधियों पर विचार किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि उन्हें हाल ही में महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा किए गए 2.5 करोड़ परिवारों के सर्वेक्षण के आधार पर कोटा देने की शिंदे सरकार की योजना पर संदेह था.


विशेष विधानसभा सत्र से पहले महाराष्ट्र पिछड़ा वर्ग आयोग ने शुक्रवार को सरकार को मराठा समुदाय में पिछड़ों को चिन्हित करने के मकसद से एक रिपोर्ट पेश की. इस रिपोर्ट के जरिए मराठा समुदाय को आरक्षण दिए जाने का खाका तैयार किया जाएगा. एमएसबीसीसी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) सुनील शुक्रे और अन्य सदस्यों ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के आवास वर्षा पर जाकर यह रिपोर्ट पेश की, जहां डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस भी मौजूद थे. जस्टिस शुक्रे ने कहा कि यह देशभर में अब तक का सबसे बड़ा सर्वे है. राज्यभर में 2.25 करोड़ लोगों के लिए तीन से चार लाख सर्वे किए जा चुके हैं.


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