Maharashtra News: ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने सोमवार को उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) से मुलाकात की और इसके बाद जो बयान दिया है उसको लेकर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं सामने आने लगी हैं. शिंदे गुट की शिवसेना के नेता संजय निरुपम (Sanjay Nirupam) ने कहा कि शिवसेना के अंदरुनी विवाद पर राजनीतिक भाषण करने से उन्हें बचना चाहिए था. यह उन्हें शोभा नहीं देता.
संजय निरुपम ने 'एक्स' पर लंबा पोस्ट लिखकर अपनी राय जाहिर की. निरुपम ने कहा, ''जगतगुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद जी धार्मिक कम,राजनीतिक ज़्यादा है. उबाठा के प्रमुख से मिलना उनका व्यक्तिगत फ़ैसला हो सकता है. इस पर कोई एतराज नहीं है. पर शिवसेना के अंदरूनी विवाद पर राजनीतिक भाष्य करने से उन्हें बचना चाहिए था. यह उन्हें शोभा नहीं देता.''
सीएम कौन बनेगा यह शंकराचार्य तय नहीं करेंगे - संजय निरुपम
शिवसेना नेता संजय निरुपम ने कहा, ''कौन मुख्यमंत्री बनेगा, कौन नहीं, यह जनता तय करेगी, शंकराचार्य नहीं. बोलते-बोलते वे यह भी बोल गए कि जो विश्वासघात करते हैं, वे हिंदू नहीं हो सकते. यह बड़ा अजीबोग़रीब तर्क है. पहले तो यह तय होना है कि विश्वासघात किसने किया ? और यह शंकराचार्य नहीं तय कर सकते. दूसरा, हिंदू पौराणिक कथाओं और इतिहास में विश्वासघात के तमाम प्रकरण उपलब्ध हैं. क्या वे हिंदू नहीं थे ? विश्वासघात एक मानवीय अवगुण है. इसका किसी धर्म से कोई लेना-देना नहीं है. हां, इस अवगुण की वजह से कोई अच्छा या बुरा हिंदू हो सकता है. मगर वह हिंदू हो ही नहीं सकता, यह कुतर्क है.''
शंकराचार्य ने उद्धव ठाकरे से मुलाकात कर कही यह बात
उद्धव ठाकरे से मुलाकात के बाद अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने मीडिया से बातचीत में कहा, ''ये सनातन धर्म का पालन करने वाले लोग हैं. हमारे यहां पुन्य पाप की भावना बताई गई है. सबसे बड़ा आघात विश्वासघात बताया गया है. आपके उद्धव ठाकरे जी हैं उनके साथ विश्वासघात हुआ है. और इसी बात की पीड़ा बहुत सारे लोगों के मन में है. हमने उनसे ये कहा है कि हम सबके मन में इस बात की पीड़ा है कि आपके साथ विश्वासघात हुआ. जब तक फिर महाराष्ट्र की कुर्सी पर आप विराजमान नहीं हो जाते. तब तक हमलोगों के मन की पीड़ी और दर्द दूर नहीं हो सकता है.''
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