Sanjay Nirupam On Sanjay Raut: पीएम नरेंद्र मोदी बुधवार (11 सितंबर) को देश के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ के यहां गणपति पूजा में शामिल हुए थे. इस पर सियासी बयानबाजी तेज है. उद्धव ठाकरे गुट के सांसद संजय राउत ने कहा कि सीजेआई शिवसेना और एनसीपी विधायकों से संबंधित अयोग्यता याचिकाओं की सुनवाई से खुद को अलग कर लें. उन्होंने कहा कि लोगों के मन में संदेह पैदा होता है जब संविधान की रक्षा करने वाले नेताओं से मिलते हैं.


अब एकनाथ शिंदे गुट के नेता संजय निरुपम ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गणपति दर्शन के लिए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस धनंजय चंद्रचूड़ के घर चले गए तो इस पर विपक्ष जिस तरह कोहराम मचा रहा है, यह उनकी मूर्खता और पागलपन का बेहतरीन सबूत है.''


'कार्यपालिका और न्यायपालिका एक दूसरे के दुश्मन नहीं'


शिंदे गुट के नेता ने आगे कहा, ''यह सामाजिकता का तक़ाज़ा है और हिंदू धर्म की परंपरा है कि अगर किसी के घर कोई पूजा-अनुष्ठान हो और निमंत्रण मिले तो अवश्य दर्शन लाभ के लिए जाना चाहिए. कार्यपालिका और न्यायपालिका लोकतंत्र के दो स्तंभ हैं. दोनों स्वायत्त हैं. मगर दोनों एक दूसरे के दुश्मन नहीं है."


विपक्ष CJI को बदनाम कर रहा- संजय निरुपम


संजय निरुपम ने आगे कहा, "दोनों के प्रमुख एक-दूसरे के साथ आत्मीय संबंध नहीं रख सकते, संविधान में ऐसा कहां लिखा गया है? स्वायत्तता का अर्थ यह तो नहीं कि दोनों एक-दूसरे के साथ आनंद के क्षण बांट नहीं सकते? विपक्ष के साथी अपनी नास्तिकता की आड़ में मुख्य न्यायाधीश को नाहक बदनाम कर रहे हैं. प्रधानमंत्री ने एक अच्छी परंपरा शुरु की है. इसका सम्मान होना चाहिए."






सुप्रिया सुले ने क्या कहा?


वहीं शरद पवार की बेटी और बारामती से सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि वह यह जानकर चौंक गईं कि प्रधानमंत्री मोदी सीजेआई के आवास पर पहुंचे, लेकिन उन्हें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है.


बीजेपी का विरोधियों पर हमला?


उधर बीजेपी ने इस मुलाकात पर सवाल उठाने वालों पर निशाना साधा. बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा, ''यहां मुद्दा यह मुलाकात का नहीं, बल्कि गणपति पूजा है. यूपीए सरकार के दौरान बतौर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इफ्तार की पार्टी रखा करते थे, क्या उसमें सुप्रीम कोर्ट के उस समय के मुख्य न्यायाधीश नहीं जाते थे, क्या उस समय दोनों की मुलाकात नहीं होती थी, क्या उस समय दोनों के बीच एक टेबल पर बैठकर बातचीत नहीं होती थी?''


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