भ्रष्टाचार मामले में अजित पवार गुट के प्रफुल्ल पटेल को मिली राहत तो संजय राउत बोले, 'ये ED ने नहीं...'
Sanjay Raut on Praful Patel: अजित पवार गुट के राज्यसभा सांसद प्रफुल्ल पटेल को मुंबई स्थित उनका एक घर वापस मिल गया है. इसपर अब सांसद संजय राउत का बड़ा बयान सामने आया है.
Mumbai Court on Praful Patel: अजित पवार गुट के एनसीपी सांसद प्रफुल्ल पटेल को बड़ी राहत देते हुए मुंबई की एक अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें उनकी 180 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति जब्त करने की मांग की गई थी. इस फैसले पर अब उद्धव गुट के सांसद संजय राउत की पहली प्रतिक्रिया सामने आई है.
शिवसेना (UBT) ने के प्रवक्ता और सांसद संजय राउत ने कहा, "ईडी ने राहत नहीं दी है, बीजेपी ने राहत दी है. ईडी, सीबीआई, आयकर विभाग बीजेपी की एक्सटेंडेड ब्रांच है."
VIDEO | Here's what Shiv Sena (UBT) leader Sanjay Raut (@rautsanjay61) said on an appellate tribunal setting aside ED's Rs 179 crore property attachment related to NCP leader Praful Patel and wife.
— Press Trust of India (@PTI_News) June 8, 2024
"ED has not given relief, the BJP has given relief. ED, CBI, Income Tax… pic.twitter.com/RGgyeF0udK
ईडी ने 2022 में प्रफुल्ल पटेल, उनकी पत्नी और उनकी कंपनी के स्वामित्व वाले सीजे हाउस में सात फ्लैटों को कुर्क किया था. इस कुर्की की बाद में पीएमएलए के निर्णायक प्राधिकारी ने पुष्टि की थी. ईडी ने आरोप लगाया था कि ये संपत्तियां ड्रग माफिया इकबाल मिर्ची (अब जिंदा नही है) की विधवा से अवैध लेनदेन के जरिए हासिल की गई थीं.
ट्रिब्यूनल ने यह भी माना कि जिन एफआईआर पर ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था, उनमें पटेल या उनकी पत्नी का कभी भी मामले में आरोपी के रूप में नाम नहीं था. सूत्रों के मुताबिक एजेंसी ऑर्डर की समीक्षा कर रही है और जल्द ही आदेश के खिलाफ अपील उच्च न्यायालय में की जा सकती है.
साल 2022 में ईडी ने वर्ली में सीजे हाउस की चार मंजिलों पर स्थित सात फ्लैट्स को प्रोविजनली अटैच किया था जो की कथित तौर पर पटेल से जुड़ी थी. ED ने यह कदम दाऊद इब्राहिम के करीबी सहयोगी इकबाल मिर्ची से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच के तहत उठाया था. इस बात की चर्चा बहुत हुई क्योंकि पहली बार एजेंसी ने इकबाल मिर्ची और पूर्व डीएचएफएल प्रमोटरों कपिल और धीरज वधावन से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के संदर्भ में किसी राजनेता से जुड़ी संपत्तियों को 'अपराध की आय' के रूप में माना था.
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