'बाला साहेब ठाकरे की...', आदित्य ठाकरे के दादर हनुमान मंदिर में 'महाआरती' पर बोले संजय राउत
Sanjay Raut News: आदित्य ठाकरे के दादर हनुमान मंदिर की 'महाआरती' में शामिल होने पर शिवसेना (UBT) नेता संजय राउत ने प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि देश में 'महाआरती' की शुरुआत शिवसेना ने की थी.
Dadar Hanuman Mandir News: महाराष्ट्र में दादर रेलवे स्टेशन के पास बने हनुमान मंदिर को लेकर राज्य की सियासत गरम है. विपक्ष के नेता लगातार सत्ता पक्ष को घेरने में जुटे हैं. उद्धव गुट के नेता आदित्य ठाकर ने शनिवार (14 दिसंबर) को यहां पहुंचकर महाआरती की है. आदित्य ठाकरे के दादर हनुमान मंदिर की 'महाआरती' में शामिल होने पर शिवसेना (UBT) नेता संजय राउत ने कहा कि इस देश में 'महाआरती' की शुरुआत शिवसेना ने की थी.
संजय राउत ने कहा, '' ये जो महाआरती है, ये सबसे पहले इस देश में शिवसेना ने शुरू की. आदित्य ठाकरे जी और शिवसैनिक महाआरती के लिए आए हैं तो इसमें कोई नहीं बात नहीं है. किसी के लिए ये नई बात भले ही होगी लेकिन हमारे लिए नहीं.''
#WATCH | Mumbai, Maharashtra | On the visit of Shiv Sena (UBT) MLA Aaditya Thackeray to Hanuman Temple Dadar's 'Maha Aarti', Shiv Sena (UBT) leader Sanjay Raut says, "The 'Maha Aarti' was started by Shive Sena in this country. So it's not a new thing for Aaditya Thackeray and… pic.twitter.com/ou44uaq2YB
— ANI (@ANI) December 14, 2024
महाआरती की संकल्पना बाला साहेब ठाकरे की थी- संजय राउत
उन्होंने आगे कहा, ''साल 1990 में जब अयोध्या का आंदोलन चल रहा था तब हम मुंबई में, महाराष्ट्र में जगह-जगह पर महाआरती करते थे. महाआरती की शुरूआत और संकल्पना हिंदू हृदय सम्राट शिवसेना बाला साहेब ठाकरे जी की थी और इसे आज भी हमलोगों ने जारी रखा है.''
दादर मंदिर का दौरा कर महाआरती में शामिल हुए आदित्य
बता दें कि मध्य रेलवे की ओर से मुंबई में हनुमान मंदिर को ध्वस्त करने का नोटिस जारी करने के बाद शिवसेना (UBT) विधायक आदित्य ठाकरे ने शनिवार (14 दिसंबर) को दादर रेलवे स्टेशन के पास हनुमान मंदिर का दौरा किया और महाआरती में शामिल हुए. इस दौरान उनके समर्थक शिवसैनिक भी मौजूद रहे. हालांकि, इस मंदिर को तोड़ने के फैसले पर रेलवे ने फिलहाल रोक लगा दी है.
बता दें कि रेलवे ने मंदिर के ट्रस्टी या पुजारी को 4 दिसंबर को नोटिस भेजा था. इसमें इस बात का जिक्र किया गया था कि यह कंस्ट्रक्शन अतिक्रमण कर रेलवे के स्वामित्व वाली जमीन पर खड़ी की गई. इसे बिना इजाजत के बनाई गई.
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