(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Maharashtra Politics: शरद पवार और अजित गुट की 'सीक्रेट मीटिंग' पर संजय राउत का तंज, कहा- 'ऐसा पाखंड शिवसेना...'
Sanjay Raut Statement: अजित पवार और शरद पवार की बैठक पर उद्धव गुट के सांसद संजय राउत तंज कसा है. उन्होंने कहा, 'ऐसा पाखंड शिवसेना के डीएनए में नहीं है. उनका (एनसीपी का) डीएनए अलग हो सकता है.'
Sanjay Raut target Ajit Pawar: शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने बीते दिनों एनसीपी प्रमुख शरद पवार और उनके भतीजे अजित के बीच मुलाकात की आलोचना करते हुए कहा था कि अगर दोनों नेता अपने रिश्ते बनाए रख रहे हैं, तो उनके समर्थकों को विचारधारा को लेकर एक-दूसरे से क्यों लड़ना चाहिए. राउत ने कहा कि ऐसा "पाखंड" शिवसेना के डीएनए में नहीं है.
संजय राउत ने क्या कहा?
सांसद ने अपने बयान में कहा था कि महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले और सेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने रविवार को मातोश्री में मुलाकात की और शरद पवार और अजित के बीच शनिवार की बैठक और इससे पैदा हुए भ्रम के माहौल पर चर्चा की. उन्होंने एमवीए गठबंधन पर इसके संभावित असर पर भी चर्चा की. अजित, आठ अन्य एनसीपी विधायकों के साथ, शरद पवार से नाता तोड़कर कुछ हफ्ते पहले महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ बीजेपी-शिंदे सेना सरकार में शामिल हो गए थे.
राउत रोहित पवार की प्रतिक्रिया से भी असंतुष्ट
राउत शरद पवार और एनसीपी विधायक रोहित पवार की प्रतिक्रिया से भी असंतुष्ट दिखाई दिए, जिसमें उन्होंने शनिवार की बैठक को यह कहकर उचित ठहराने की कोशिश की कि संबंधों को बनाए रखना होगा और अगर कोई भतीजा अपने चाचा से मिलता है तो यह गलत नहीं है.
शिवसेना सांसद ने पूछा, “मैंने बैठक पर शरद पवार और रोहित पवार की प्रतिक्रियाएं देखीं. शरद पवार ने कहा कि अजित उनके भतीजे हैं और इसलिए उनकी मुलाकात हुई. हां, वह उनका भतीजा है. रोहित पवार ने कहा कि रिश्ते निभाना है. लेकिन अब सवाल यह है कि मजदूर सड़कों पर संघर्ष क्यों करते रहें? आप उन कार्यकर्ताओं को क्या संदेश दे रहे हैं जो विचारधारा के लिए संघर्ष कर रहे हैं? अगर नेता हमारे संबंध बनाए रखते हैं, तो कार्यकर्ताओं को विचारधारा के लिए सड़क पर क्यों लड़ते रहना चाहिए.”
पाखंड का आरोप
राउत ने कहा कि ऐसा पाखंड शिवसेना के डीएनए में नहीं है. “कल अगर हम नियमित रूप से एकनाथ शिंदे या बीजेपी के साथ गए गद्दारों के समूह (विधायकों) के साथ चाय पीने लगेंगे, तो इससे उन सैनिकों को क्या संदेश जाएगा जो सड़कों पर संघर्ष कर रहे हैं, विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और गोलियां भी खा रहे हैं.” वे कैसे लड़ेंगे? मुझे लगता है कि ऐसा पाखंड शिवसेना के डीएनए में नहीं है.' उनका (एनसीपी का) डीएनए अलग हो सकता है.”
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