Sanjay Raut: संजय राउत का मां को भावुक पत्र, प्रिय आई... मैं वापस आऊंगा, तब तक उद्धव रखेंगे तुम्हारा ख्याल
संजय राऊत ने पत्र लिखने के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए लिखा कि मुझे कई वर्षो तक लेटर लिखने का अवसर नहीं मिला. उन्होंने लेटर को न्यायिक हिरासत में जाने से पहले कोर्ट के बाहर लिखा.
Sanjay Raut: संजय राउत ने ईडी कस्टडी के बाद जिस दिन न्यायिक हिरासत में जा रहे थे, उस दिन अपनी मां को एक लेटर लिखा था. ये पत्र अब सामने आया है, जो भावुक करने वाला है. संजय राउत ने अपनी मां को लिखे इस लेटर में इस बात का भी जिक्र किया है कि किस तरह से उन पर उद्धव ठाकरे को छोड़ने का दबाव बनाया जा रहा है. गन प्वाइंट पर उनके खिलाफ लोगों को गवाही देने का दबाव बनाया जा रहा है.
मराठी में लिखे इस लेटर के मुख्य और जरूरी अंश का हिंदी में ट्रांसलेशन किया गया है. लेटर में ईडी के छापे वाले दिन के सारे घटना का जिक्र किया. कैसे उनकी मां ने उनका बुरे वक्त में हिम्मत दिया और शिवसेना को बचाने की बात कही. संजय राउत सामना के संपादक भी रह चुके है.
केंद्र सरकार ने दिया मौका
संजय राउत ने पत्र लिखने के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए लिखा कि मुझे कई वर्षो तक लेटर लिखने का अवसर नहीं मिला. जबकि मैं रोज सामना के लिए फ्रंट पेज लिखता था. राउत मां से दौरे के दौरान रोज सुबह शाम फोन पर बात करते थे, लेकिन लेटर लिखना भूल जाते थे. केंद्र सरकार ने यह पत्र लिखने का मौका दिया है. ईडी की कस्टडी खत्म होने के बाद उन्होंने लेटर को न्यायिक हिरासत में जाने से पहले कोर्ट के बाहर बेंच पर बैठे-बैठे लिखा.
ईडी के छापे मारने वाले दिन का भी जिक्र
ईडी के अधिकारी संजय राउत के घर पर रविवार 1 अगस्त को दाखिल हुए थे. उस वक्त राउत की मां बालासाहेब ठाकरे की फोटो के नीचे मजबूती से बैठे हुई थी. ईडी के अधिकारियों ने कमरे, मंदिर, रसोई, नमक, मसाले, आटे और बक्से की तलाशी ली. उस वक्त भी उनकी मां सब कुछ सहते हुए देख रही थी. शाम के वक्त मां ने राउत को गले लग कर रोने लगी थी, क्योंकि उनका धीरज टूट चुका था.
मां ने बांधा शिवसैनिकों को ढांढस
ईडी के छापे वाले दिन बाहर शिवसेना के नारे लगा रहे थे. सभी शिवसैनिकों की आवाज उनके दिल में घुस रही थी. मां ने संजय राउत को जल्दी आने की बात भी कही. उनकी मां का हाथ तब तक ऊपर था, जब तक संजय राउत को ले जाने वाली कार बाहर नहीं आ गयी. उन्होंने जाते हुए मां को कहा कि वो जरूर वापस आएंगे और कहा कि महाराष्ट्र और हमारे देश की आत्मा को इतनी आसानी से नहीं मारा जा सकता.
शिवसेना नही झुकेगी
संजय राउत ने अपने लेटर में शिवसेना के न झुकने की बात लिखी. उन्होंने ये भी लिखा कि वो अन्याय के खिलाफ लड़ रहे है, इसलिए शिवसेना से दूर जाना पड़ा. लेटर में भुजबल और राणे के शिवसेना छोड़ने की भी बात शामिल है. जब शिंदे गुट ने उद्धव ठाकरे पर हमला बोला था तो मां ने संजय राउत को शिवसेना को बचाने के लिए कहा. उनकी मां ने ही बताया था कि कभी शिवसेना और बालासाहेब के साथ बेईमानी नहीं करना. कई शिवसैनिकों ने शिवसेना ईडी और इनकम टैक्स के डर से छोड़ दी, लेकिन राउत बेईमानों की सूची में नही जाना चाहते. लोग बंदूक की नोक पर उनके खिलाफ फर्जी बयान बना रहे है और ठाकरे का साथ छोड़ने की सलाह दी जा रही है.
तिलक और सावरकर ने भी अत्याचार सहे
संजय राउत ने अपने लेटर में लिखा कि तिलक और सावरकर को भी अत्याचार सहना पड़ा. कई शिवसैनिको ने शिवसेना के लिये जान गंवाई है. उनके जैसे नेता मैदान से कैसे भाग जाये, जब उसकी पार्टी मुश्किल में हो. उद्धव ठाकरे उनके प्रिय मित्र और सेनापति हैं. ऐसे समय में अगर वो उन्हे छोड़ दू तो बाला साहेब ठाकरे को क्या चेहरा दिखाएंगे. आज महाराष्ट्र षड्यंत्रकारियों के हाथ में है. शिवसेना के अस्तित्व और महाराष्ट्र के गौरव को खत्म करना चाहते हैं. पर्दे के पीछे बहुत कुछ चल रहा है. ऐसे समय में आप अपने हाथ बांधकर और अपनी गर्दन झुकाकर गुलामों की तरह कैसे रह सकते हैं. उन्होंने ये भी बताया कि नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया और राहुल गांधी को भी परेशान किया जा रहा है. रोहित पवार को भी परेशान किया जा रहा है. इस उत्पीड़न से एक नई क्रांति की चिंगारियां निकलेंगी और नयी आजादी का जश्न मनाया जाएगा और लोकतंत्र का दोबारा जन्म होगा.
शिवसेना को मां कहा
राउत ने शिवसेना को मां कहा और बोला जैसे आप मेरी मां हो. मुझ पर अपनी मां के साथ बेईमानी करने का दबाव डाला गया है. कहा गया है कि सरकार के खिलाफ न बोलना महंगा पड़ेगा. ऐसी ऐसी धमकियां थी, जिसके लिए अपनी मां से दूर हैं, क्योंकि उन्होंने इन धमकियों और दबाव के आगे समर्पण नही किया. वो आएंगे, तबतक उद्धव ठाकरे और अनेको शिवसैनिक उनकी मां के बच्चे होंगे और उनका ख्याल रखना होगा .