Sanjay Shirsat on Uddhav Thackeray: बीजेपी ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए अपनी पहली लिस्ट जारी कर दी है. जिसमें 195 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की गई है. इस लिस्ट में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का नाम शामिल नहीं है, इसे लेकर विपक्ष ने केंद्र सरकार पर हमला बोला है.
'सामना' से उद्धव गुट का बीजेपी पर हमला
शिवसेना (UBT) ने अपने मुखपत्र 'सामना' में नितिन गडकरी के बारे में संपादकीय लिखकर पीएम मोदी पर हमला बोला है. सामना में लिखा, 'मंत्रिमंडल और बीजेपी में नितिन गडकरी एकमात्र ऐसे नेता हैं जो मोदी-शाह की दादागीरी के सामने नहीं झुकते. गडकरी की प्रेरणा छत्रपति शिवाजी महाराज हैं. इसलिए स्वाभिमान और गौरव की एक मजबूत रीढ़ इस मराठी नेता को हासिल है. इसे गडकरी की चुनौती कहें या डर का एहसास मोदी-शाह के व्यापार मंडल को जरूर होगा.' इसी पर अब शिंदे गुट के नेता संजय शिरसाट ने प्रतिक्रिया दी है.
शिंदे गुट के नेता का पलटवार
संजय शिरसाट ने कहा, बीजेपी ने सिर्फ उन्हीं राज्यों में अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की है जहां गठबंधन नहीं है. महाराष्ट्र में महायुति की सरकार है. यहां सीट शेयरिंग को लेकर अंतिम फैसला होना बाकी है इसीलिए बीजेपी के पहली सूची में महाराष्ट्र से किसी भी उम्मीदवार का नाम नही है. स्थिति साफ है. कुछ लोगों को बेमतलब की बातें करने में मजा आता है.
ऐसे लोगों को अपने गिरेबान में झांक कर देखना चाहिए. उनके खुद के 40 विधायक चले गए, 13 सांसद चले गए... उन्हें आत्म चिंतन करने की जरूरत है. शिवसेना (UBT) की इस तरह की बातों से नितिन गडकरी क्या उनके पार्टी में चले जाएंगे? नितिन गडकरी महाराष्ट्र बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता है. दूसरी सूची में उनका नाम जरूर शामिल किया जाएगा.
सीट शेयरिंग पर क्या कहा?
महायुति में सीट शेयरिंग को लेकर शिरसाट ने कहा, तीनों पार्टियों के बीच में चर्चा चल रही है. हमारी मांग है कि हमें 22 सीट मिले. पार्टी की तरफ से अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे लेंगे. मुख्यमंत्री का शब्द हमारे लिए अंतिम शब्द होगा.
अमित शाह के महाराष्ट्र दौरे और सीट शेयरिंग के चर्चा को लेकर उन्होंने आगे कहा, अमित शाह के महाराष्ट्र दौरे से सीट शेयरिंग के चर्चा से कोई मतलब नहीं है. उनका अपना नियोजित दौरा है. राज्य स्तर पर हमारी बात चल रही है. अंतिम निर्णय तीनों पार्टी के शिर्ष नेता लेंगे. महायुति में कोई अनबन नहीं है.
लालू प्रसाद यादव की टिप्पणी पर संजय शिरसाट ने कहा, लालू यादव की ये पुरानी शैली रही है. लालू यादव कोई नेता नहीं हैं. वो विदूषक हैं. कोई नेता उनकी बातों को सीरियसली नहीं लेता है. प्रधानमंत्री भी लालू यादव की बातों को तवज्जो नहीं देते हैं.