NCP Crisis: महाराष्ट्र की राजनीति में चाचा-भतीजे (शरद पवार और अजित पवार) के बीच अंतरद्वंद्व की हर ओर चर्चा है. इसी बीच राकांपा (NCP) के नाम और चुनाव चिन्ह पर दावे की लड़ाई भी जारी है. कुछ समय पहले अजित पवार गुट ने राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के नाम और सिंबल पर अपना दावा पेश किया और चुनाव आयोग के सामने मांग रखी. इस पर शरद पवार के वकील ने सवाल उठाया है. एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने इस मामले में हो रही सुनवाई के दौरान कहा कि पार्टी के नाम और चिन्ह पर मांग की कोई कानूनी वैधता नहीं है. वकील का कहना है कि जब दोनों गुटों में कोई विवाद नहीं है, तो एक गुट चुनाव चिन्ह पर दावा कैसे कर सकता है?


शरद पवार गुट के एडवोकेट मनु सिंघवी ने जज के सामने यह बात भी रखी कि 25 साल के इतिहास में पार्टी में किसी विवाद का प्रमाण नहीं मिलेगा. शरद पवार जब सर्वसम्मति से अध्यक्ष चुने गए थे, तब भी किसी नेता ने इस पर आपत्ति नहीं जताई थी. 


'रातोंरात तो पैदा नहीं हो सकता विवाद'- शरद पवार के वकील
मनु सिंघवी ने कहा कि शरद पवार को सबकी सहमति के साथ एनसीपी का अध्यक्ष चुना गया था. वकील ने दावा किया कि शरद पवार के लिए चुनाव और राष्ट्रीय परिषद की बैठकें बुलाने से संबंधित सभी दस्तावेजों पर अजित पवार ने साइन भी किए थे. ऐसे में कोई भी विवाद रातोंरात पैदा कैसे हो सकता है? हालांकि, 30 जून को एक विवाद सामने आया जब अजित पवार गुट ने पार्टी के नाम और चुनाव चिन्ह पर दावा किया और चुनाव आयोग का रुख कर लिया. 


सिंघवी ने कहा कि हमने अपने तर्कों को सही साबित करने के लिए सभी प्रासंगिक दस्तावेज चुनाव आयोग को सौंप दिए हैं. साथ ही उन्होंने बताया कि इस मामले  की सुनवाई 29 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी गई है.


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