प्रफुल्ल पटेल के दावों पर शरद पवार गुट का पलटवार, कहा- 'वैल्यू बढ़ाने न करें अर्थहीन बात'
Maharashtra Lok Sabha Elections: शरद पवार को लेकर प्रफुल्ल पटेल ने यह दावा किया था कि वह बीजेपी के साथ हाथ मिलाने के लिए पचास प्रतिशत तैयार हो गए थे लेकिन आखिर में वह संकोच करने लग जाते हैं.
Maharashtra Lok Sabha Elections: अजित पवार (Ajit Pawar) गुट के नेता प्रफुल्ल पटेल (Praful Patel) के बयान को लेकर अब शरद पवार (Sharad Pawar) की पार्टी के प्रवक्ता का बयान आया है. एनसीपी शरद चंद्र पवार के प्रवक्ता क्लाइड क्रास्टो (Clyde Crasto) ने प्रफुल्ल पटेल के बयान को अर्थहीन बताया है और कहा कि बीजेपी में अजित पवार गुट की एनसीपी को भाव नहीं मिल रहा है तो अपना भाव बढ़ाने के लिए प्रफुल्ल पटेल ऐसे बयान दे रहे हैं.
क्रास्टो ने कहा, ''इन बयानों का कोई अर्थ और कोई मूल्य नहीं है. इन बयानों में कोई सच्चाई नहीं है. यह केवल अपना भाव बढ़ाने के लिए दिया जा रहा है क्योंकि बीजेपी अजित पवार गुट के साथ ऐसे व्यवहार कर रही है जैसे कि वह कुछ नहीं है. अगर चीजें ऐसी होनी होती तो बहुत पहले हो गई होती.'' दरअसल प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि था कि शरद पवार बीजेपी को सपोर्ट करने के लिए 50 प्रतिशत तैयार हो गए.
अजित पवार पार्टी की सिंबल इस्तेमाल नहीं कर पा रहे - क्रास्टो
क्रास्टो ने आगे कहा, ''अगर आप देखें जो चीजें हो रही हैं. सीट साझेदारी पर अब तक पता नहीं चल पाया है कि उन्हें कितनी सीटें मिलनी है. केवल अपनी वैल्यू दिखाने और यह बताने कि वे प्रासंगिक है वे इस तरह के मुद्दे को लेकर आ रहे हैं. वास्तविकता यह है कि उनके बयान का कोई मतलब नहीं है. मैं एक उदाहरण देता हूं. बीजेपी ने महाराष्ट्र में रैली आयोजित की.
क्या आपने अजित पवार गुट का चुनाव चिह्न घड़ी कहीं देखी. क्या आपने बैनर में यह देखा. कल मैंने देखा कि कमल का चिह्न था और धनुष-बाण (शिवसेना का चुनाव चिह्न) था लेकिन घड़ी का सिंबल कहीं नहीं था. अगर उन्होंने चुनाव चिह्न लगाया होता तो उन्हें यह डिस्क्लेमर चलाना होता कि यह सिंबल अभी सब ज्यूडिस है.''
बीजेपी के लिए मायने नहीं रखते अजित पवार - क्रास्टो
एनसीपी शरद चंद्र पवार के प्रवक्ता ने कहा, ''इसका मतलब है कि बीजेपी के लिए उनका मूल्य शून्य है. अपना ब्रैंड वैल्यू बढ़ाने के लिए वे इस तरह के बयान दे रहे हैं. अगर ऐसा होना होता तो बहुत पहले हो जाता. हर कोई इस देश में जानता है कि अगर आपको फ्री पब्लिसिटी चाहिए और दिखाना है कि आप प्रासंगिक है या आपको शरद पवार का नाम लेना है तो लोग आपको देखने लगेंगे, मीडिया आपके सामने आने लगेगी. प्रफुल्ल पटेल का बयान इसी दिशा में जाते दिखते हैं.''
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