Pune Porsche Accident News: पुणे में हुए पोर्शे कार हादसे मामले में अब शरद गुट के विधायक अनिल देशमुख का बड़ा बयान सामने आया है. उन्होंने कहा, "जो पुणे में हिट एंड रन का केस हुआ. युवक और युवती की मौत हो गई. राज्य सरकार की कृपा की वजह से विशाल अग्रवाल के बेटे का बल्ड सैंपल लिया गया. जिनकी मौत हो गई उनकी विसरा रिपोर्ट अल्कोहल पॉजिटिव रिपोर्ट आएगा, और विशाल अग्रवाल का अल्कोहल रिपोर्ट निगेटिव आएगा. मतलब ये दिखाने की कोशिश हो रही है कि जिनकी मौत हुई उन्हें आरोपी ठहराए जाए."


देशमुख ने आगे कहा, "राजकीय दबाव में क्या क्या होता ये तो सब देखा जा सकता है. बहुत बड़ी बदमाशी होने वाली है, मैं ये जानकारी शेयर करना चाहता हूं."


किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) ने पिछले महीने पुणे में कार दुर्घटना में दो आईटी इंजीनियरों की मौत से संबंधित मामले में कथित तौर पर शामिल 17 वर्षीय किशोर की निगरानी गृह हिरासत बुधवार को 25 जून तक के लिए बढ़ा दी.


इससे पहले पुलिस ने बोर्ड के समक्ष दलील दी थी कि उसकी अब भी काउंसलिंग की जा रही है और मामले की जांच जारी है.


बिल्डर विशाल अग्रवाल के किशोर बेटे द्वारा कथित तौर पर चलाई जा रही पोर्श कार ने 19 मई को तड़के कल्याणी नगर में एक बाइक को टक्कर मार दी थी जिसपर सवार आईटी पेशेवर अनीश अवधिया और अश्विनी कोष्टा की मौत हो गई थी. वे मध्य प्रदेश के रहने वाले थे. पुलिस के मुताबिक, किशोर शराब के नशे में गाड़ी चला रहा था.


पुणे पुलिस ने अभियोजकों के माध्यम से किशोर की सुरक्षा का हवाला देते हुए उसे 14 दिन के लिए निगरानी गृह में रखने का अनुरोध किया. वह 12 जून तक निगरानी गृह में था.


उन्होंने बोर्ड को यह भी बताया कि फिलहाल किशोर की रिहाई से मामले की जांच तथा अन्य संबंधित मामलों में बाधा उत्पन्न हो सकती है. अन्य मामलों में 19 मई को दुर्घटना होने के बाद लिए गए उसके रक्त के नमूने कथित तौर पर बदले जाने का मामला भी शामिल है.


बचाव पक्ष ने हिरासत अवधि बढ़ाने की पुणे पुलिस की याचिका का विरोध किया और बोर्ड से कहा कि नाबालिग को निगरानी केंद्र से रिहा किया जाना चाहिए.


एक पुलिस अधिकारी के अनुसार, अभियोजकों ने अपनी हिरासत बढ़ाने की याचिका में जेजेबी को बताया कि किशोर की अब भी मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग की जा रही है और उसे निगरानी गृह में ही रखने की जरूरत है.


उन्होंने कहा कि अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि वे मुकदमे के लिए किशोर को वयस्क के तौर पर मानना चाहते हैं और इस संबंध में औपचारिकताएं पूरी करने के लिए उसे आगे हिरासत में रखने की जरूरत है.


अधिकारी ने बताया कि बोर्ड ने पुलिस से किशोर का संरक्षण उसके रिश्तेदारों को सौंपने की बचाव पक्ष की याचिका पर अपना पक्ष रखने को कहा है, क्योंकि उसके माता-पिता दुर्घटना से संबंधित अलग-अलग आरोपों में पुलिस की हिरासत में हैं.


दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद किशोर न्याय बोर्ड ने किशोर के निगरानी गृह में रहने की समयावधि 25 जून तक बढ़ा दी.


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