Sharad Pawar Resigns: MVA पर पड़ने लगा पवार के इस्तीफे का असर? शिवसेना और कांग्रेस में शुरू हुई तकरार
माना जा रहा था कि Sharad Pawar के इस्तीफे के बाद MVA पर असर नहीं पड़ेगा लेकिन शिवसेना UBT और कांग्रेस के नेताओं के बीच हो रही बयानबाजी से स्पष्ट है कि महागठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं है.
Maharashtra Politics: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पद से शरद पवार के इस्तीफा देने के बाद महाविकास अगाड़ी यानी एनसीपी, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और कांग्रेस के रिश्तों में खटास आती दिख रही है. माना जा रहा था कि पवार के इस्तीफे के बाद एमवीए पर असर नहीं पड़ेगा लेकिन शिवसेना UBT और कांग्रेस के नेताओं के बीच हो रही बयानबाजी से इस बात के संकेत स्पष्ट हैं कि महागठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं है.
दरअसल राज्यसभा सांसद और शिवसेना यूबीटी के नेता संजय राउत ने एनसीपी के भावी राष्ट्रीय अध्यक्ष और उसकी भूमिका पर टिप्पणी करते हुए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी को लेकर टिप्पणी की. राउत की ये टिप्पणी महाराष्ट्र कांग्रेस के चीफ नाना पटोले को नागवार गुजरी और उन्होंने शिवसेना यूबीटी के नेता की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया दी. इतना ही नहीं एमवीए की महत्वाकांक्षी वज्रमुठ रैलियों पर भी शरद पवार के इस्तीफ का असर पड़ सकता है.
वज्रमुठ रैलियों पर भी आशंका!
शिवेसना यूबीटी नेता राउत ने बुधवार को कहा था कि जिस तरह कांग्रेस में खरगे अध्यक्ष हैं और राहुल गांधी सारे फैसले करते हैं, उसी तरह शरद पवार के बाद एनसीपी में भी होगा. उधर, राउत की इस टिप्पणी पर नाना पटोले ने कहा कि शिवसेना नेता कांग्रेस के प्रवक्ता नहीं हैं. खरगे, वरिष्ठ नेता हैं और उनके अनुभव का दायरा बहुत बड़ा है. गांधी परिवार का इतिहास, त्याग और समर्पण से भरा रहा है. उस परिवार ने पीएम पद तक का त्याग कर दिया. पटोले ने कहा कि राउत के बयान के हिसाब से हो तो हम यह भी कह सकते हैं कि शिवसेना यूबीटी के सारे फैसले उद्धव न लेकर वो (संजय राउत) ले रहे हैं.
उधर खबर है कि एमवीए की वज्रमुठ रैलियों पर भी अब असर पड़ रहा है. मंगलवार को पवार ने इस्तीफे का एलान किया और उसके दो दिन पहले यानी रविवार को मुंबई में एमवीए रैली थी. इसके बाद पुणे, कोल्हापुर, नासिक में रैलियां होनी थीं. इसके इंतजाम जिम्मा भी एनसीपी के पास था. इन रैलियों का आयोजन, महाविकास अघाड़ी में एकता का संदेश देने के लिए किया जा रहा था लेकिन पवार के इस्तीफे के बाद परिस्थितियां बदल गई हैं, जिसका असर आने वाले वक्त में दिख सकता है.