Maharashtra Politics: 'पार्टी में बंटवारा नहीं' बयान पर विवाद के बाद शरद पवार ने बताया कौन है NCP का बॉस, किया बड़ा दावा
Sharad Pawar ने BJP पर जोरदार हमला बोलते हुए कहा, ”उन्होंने विपक्षी दलों और उनके नेताओं के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसियों को तैनात कर दिया है.
Maharashtra Politics: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार ने अपने बयानों पर राजनीतिक विवाद के एक दिन बाद शनिवार को कहा कि वह एनसीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने रहेंगे, जबकि जयंत पाटिल प्रदेश अध्यक्ष हैं. उन्होंने दोहराया कि "पार्टी विभाजित नहीं हुई है".
अपने भतीजे अजीत पवार के नेतृत्व वाले अलग गुट का जिक्र करते हुए उन्होंने दोहराया कि “हालांकि कुछ विधायकों ने पार्टी छोड़ दी है, लेकिन उन्होंने किसी नई राजनीतिक इकाई का गठन नहीं किया है, इसलिए मैं मानता हूं कि पार्टी विभाजित नहीं हुई है.“
'जो छोड़कर चले गए, उनका नाम लेकर हम उन्हें महत्व क्यों दें'
पवार ने कहा, “ जो छोड़कर चले गए, उनका नाम लेकर हम उन्हें महत्व क्यों दें? मैं जानता हूं कि जो लोग BJP के साथ गए हैं, उनसे लोग परेशान हैं. मैं महाराष्ट्र में बदलाव देख रहा हूं और मौका आने पर लोग BJP को उसकी असली जगह दिखाएंगे.”
विपक्षी गठबंधन इंडिया की तीसरी बैठक के बारेे में पवार ने कहा कि इसमें 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारियों की समीक्षा की जाएगी और देश के विभिन्न हिस्सों में संयुक्त चुनाव प्रचार के लिए कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार की जाएगी.
उन्होंने BJP पर जोरदार हमला बोलते हुए कहा, ”उन्होंने विपक्षी दलों और उनके नेताओं के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसियों को तैनात कर दिया है. मैं ऐसी फासीवादी ताकतों के खिलाफ लड़ना जारी रखूंगा… केंद्रीय जांच एजेंसियों (सीबीआई, ईडी और आईटी) का दुरुपयोग हुआ है. जो लोग इन एजेंसियों का सामना नहीं कर सकते थे, वे BJP के साथ चले गए हैं.''
संजय राउत को ईडी-सीबीआई की धमकी दी गई
पवार ने यह भी खुलासा किया कि कैसे नवाब मलिक और अनिल देशमुख जैसे एनसीपी नेताओं और शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत को ईडी-सीबीआई की धमकी दी गई और BJP में शामिल होने के लिए कहा गया.
पवार ने कहा, “मगर वे झुके नहीं, उन्होंने साहस दिखाया और उनका विरोध किया… इसलिए उन्हें जेल जाना पड़ा. वे (मलिक, देशमुख, राउत) सलाम के पात्र हैं.”
किसी का नाम लिए बिना उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि कैसे उनके कई पूर्व सहयोगी - जिनमें जांच एजेंसियों का सामना करने की हिम्मत नहीं थी, सत्तापक्ष में चले गए और खुद को सभी समस्याओं से मुक्त कर लिया.