Maharashtra Politics: शरद पवार के इस्तीफा वापस लेने पर शिवसेना बोली- 'ड्रामे' पर गिरा पर्दा, इस मुद्दे पर बताया 'विफल'
शरद पवार के इस्तीफा वापस लेने के बाद शिवसेना के मुख पत्र सामना की संपादकीय में कहा गया है कि ड्रामे पर पर्दा गिर गया.
Sharad Pawar News: महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार के इस्तीफा वापस लेने के बाद शिवसेना के मुख पत्र सामना की संपादकीय में कहा गया है कि NCP नेता एक उत्तराधिकारी बनाने में असफल रहे. सामना में लिखा गया है कि - 'पार्टी का आगा-पीछा, तना… सब कुछ महाराष्ट्र में है, इसलिए पवार के सभी सहयोगियों को जो चाहिए, वह महाराष्ट्र में ही. पवार निश्चित रूप से राष्ट्रीय स्तर पर एक बड़े नेता हैं और राष्ट्रीय राजनीति में उनके शब्दों का सम्मान किया जाता है, लेकिन वे एक उत्तराधिकारी बनाने में विफल रहे जो पार्टी को आगे ले जा सके.'
संपादकीय में लिखा गया- 'चार दिनों पहले जैसे ही उन्होंने सेवानिवृत्ति की घोषणा की, पार्टी जड़ से हिल गई और हर कोई अब हमारा क्या होगा? इस चिंता से कांप गए. कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए. पार्टी के प्रमुख नेताओं ने मनाया और लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए पवार ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया. इसके आगे भी वही राकांपा की कमान संभालेंगे. इससे पिछले चार-पांच दिनों से चल रहे ड्रामे पर पर्दा गिर गया है.'
'असली मर्द कौन?'
शरद पवार का जिक्र करते हुए मुखपत्र में लिखा गया-शरद पवार ने कहा कि वे अंत तक लड़ेंगे. यह हुआ महाराष्ट्र का, लेकिन लालू यादव, के.सी. चंद्रशेखर राव, ममता बनर्जी, स्टालिन जैसे नेता भी लड़ने के लिए उतर गए हैं. कार्यकर्ता लड़ते ही रहते हैं. बैग भरकर निकलने वालों पर पार्टी निर्भर नहीं रहती! सभी पार्टियों के डरपोक सरदारों को एक स्वतंत्र पार्टी की स्थापना करनी चाहिए ताकि लोगों को पता चलेगा कि असली मर्द कौन है?
सामना में लिखा गया- 'नया अध्यक्ष कौन बनेगा? यह तय करने के लिए श्री पवार ने एक बड़ी कार्यकारिणी नियुक्त कर दी. उस कार्यकारिणी में कौन? तो भाजपा में जाने की जिन्होंने योजना बनाई थी, उसमें से ही ज्यादा लोग थे. लेकिन कार्यकर्ताओं का दबाव और भावनाएं ऐसी तीव्र थीं कि उस कार्यकारिणी को पवार का इस्तीफा नामंजूर करके `इसके आगे आप और आप ही,’ ऐसा पवार से कहना पड़ा और तीसरे अंक का घंटा बजने से पहले ही पवार के नाट्य का पर्दा गिर गया. पवार की वापसी से उनकी पार्टी में चेतना आ गई और राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी पार्टियों के गठबंधन ने भी राहत की सांस ली.'