Shankaracharya Swami Avimukteshwaranand: शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कल महाराष्ट्र के पूर्व सीएम और शिवसेना (UBT) अध्यक्ष उद्धव ठाकरे से मुलाकात की थी. इस मुलाकात के बाद राज्य का सियासी पारा बढ़ गया है. अब एकनाथ शिंदे गुट के शिवसेना नेता संजय निरुपम ने इसपर अपनी प्रतिक्रिया दी है.
क्या बोले संजय निरुपम?
संजय निरुपम ने कहा, शंकराचार्य का पद हम हिंदुओं के लिए एक श्रद्धा का पद होता है. इसलिए जब कोई शंकराचार्य अपने पद पर होते हुए किसी व्यक्ति का पार्टी का समर्थन करते हैं तो उनका पद कम होता है. कल शंकराचार्य ने जिस तरह से एक पार्टी का समर्थन किया, हमें उसका दुख है.
निरुपम ने आगे कहा, उद्धव ठाकरे ने जो किया क्या वो विश्वासघात नहीं था. एकनाथ शिंदे ने जो किया वह शंकराचार्य को विश्वासघात लग रहा है. ऐसा नहीं है हर कोई अपना फैसला ले सकता है. शंकराचार्य को ऐसा नहीं करना चाहिए था. उनका एक पद है, उस पद का सम्मान करना चाहिए. विश्वासघात किसी एक धर्म से जुड़ा हुआ नहीं...इस बारे में शंकराचार्य ज्यादा बोल गए. विश्वास घात उद्धव ठाकरे ने किया. चुनाव जीतने के बाद उद्धव ने बीजेपी से रिश्ता तोड़ा.
चुनाव को लेकर सर्वे
कोई भी सर्वे प्रोफेशनल लोगों द्वारा किया जाता है, लेकिन उनके द्वारा कही हुई बात अंतिम बात नहीं हो सकती. पॉलिटिक्स कई लेयर में काम करती है.
विधान सभा चुनाव में सीट को लेकर बयान
पिछले चुनाव में हम जितनी सीटों पर चुनाव लड़े थे उनमें से कितनी सीटों पर अभी हम मजबूत हैं. इस पर बातचीत की जा रही है और कौन कितनी सीट पर लड़ेगा इसका अंतिम फैसला सभी नेता मिलकर करेंगे. बीजेपी सर्वे की बात कर खुद के लिए अधिक सीट मांग रही थी लेकिन अब चुनाव के नतीजे को देखकर क्या किया जाएगा?
हम सभी पार्टियां मिलकर एक दूसरे को मजबूत करने का काम कर रही हैं. तीनों पार्टी के नेता अगर यह बात सोचते हैं कि उन्हें ज्यादा सीट मिले तो या गलत नहीं है.
बिहार में मुकेश सहनी के पिता की हत्या
मुकेश सहनी एक नेता हैं. उनके पिता की हत्या एक दर्दनाक घटना है. बिहार सरकार को पता लगाना चाहिए कि इसके पीछे कौन था, लेकिन एकदम से ऐसा कह देना कि बिहार में गुंडाराज है तो यह गलत होगा. हम पिछले कई सालों से देख रहे हैं कि बिहार में हत्याएं हो रही है, राजनीतिक हत्याएं भी होती हैं. मैं छोटा था तब भी हमने ऐसा देखा. बिहार अब इन सबसे आगे निकल गया है लेकिन कोई भी हत्या होना गलत है. इस मामले की जांच होनी चाहिए.
मराठा ओबीसी विवाद
मराठा ओबीसी विवाद जैसी कोई बात ही नहीं है. मराठा समाज को आरक्षण देना चाहिए इस बात पर हर कोई टिका हुआ है. सरकार ने भी कानून बनाया है. अब यह आरक्षण किस प्रकार से मिलना चाहिए इस पर विवाद है, और यही ओबीसी समाज का कहना है कि किसी का हक लेकर किसी को देना सही नहीं. सभी पार्टियों के नेताओं को मिलकर इस बात का फैसला लेना चाहिए. इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए की कानूनन वह सही हो. ग्रामीण क्षेत्रों में जानबूझकर इस प्रकार के विवाद को खड़ा किया जा रहा है और उसपर राजनीतिक रोटी सेकने की कोशिश हो रही है.
पंढरपुर यात्रा और उसपर राजनीति
इस यात्रा का चुनाव से कोई लेना देना नहीं. जब से सरकार है हर मुख्यमंत्री वहां जा रहा है. इसलिए सीएम आज वहां जा रहे हैं. राजनीति से जुड़े हुए कई लोग इस यात्रा में शामिल होते हैं. इस पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए.
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